10 लाख से ज्यादा जमा वालों से पूछताछ शुरू
मुंबईः आयकर विभाग ने संदिग्ध बैंक डिपॉजिट को लेकर सवाल पूछने शुरू कर दिए हैं। इनमें को-ऑपरेटिव बैंकों में किए गए डिपॉजिट भी शामिल हैं। विभाग ने अधिकतर मामलों में इनकम के सोर्स और अकाऊंट होल्डर की पहचान से जुड़े सबूत मांगे हैं। एक सूत्र ने बताया, 'पहले राउंड में विभाग उन बैंक अकाऊंट्स पर फोकस कर रहा है, जिनमें KYC रूल्स का पालन नहीं हुआ है या जिनमें कैश डिपॉजिट व्यक्ति की इनकम से मेल नहीं खाते।'
विभाग ई-प्लैटफॉर्म के जरिए भी सवाल पूछ रहा है। ऐसे लोगों से स्पष्टीकरण देने के लिए कहा जा रहा है जिन्होंने 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद बड़ी रकम अकाऊंट्स में जमा की है। पहले राउंड में विभाग केवल उन बैंक अकाऊंट्स के संबंध में जानकारी ले रहा है, जो संदिग्ध लग रहे हैं। ऐसे अकाऊंट्स को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं जिनमें नोटबंदी के बाद कम से कम 10 लाख रुपए जमा किए गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेतली और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी इससे पहले चेतावनी दे चुके हैं कि सरकार बैंक अकाऊंट्स में ब्लैक मनी जमा करने वाले लोगों पर शिकंजा कसेगी।
आयकर विभाग की ओर से ई-प्लैटफॉर्म के जरिए पूछे जा रहे सवालों के उत्तर ऑनलाइन देने होंगे। इनकम टैक्स अधिकारी कुछ मामलों में अकाउंट होल्डर्स से पैन और आधार कार्ड की स्कैन्ड कॉपी जमा करने के लिए कह रहे हैं। अगर किसी डिपॉजिटर के पास पैन नहीं है तो उसे पहले पैन हासिल करना होगा और उसके बाद ही वह जवाब देने के लिए सिस्टम में लॉग-इन कर सकेगा।
आयकर विभाग बैंकों में 10 लाख रुपए से अधिक के कैश डिपॉजिट को लेकर सवाल पूछने पर विचार कर रहा है। लगभग 1.5 लाख ऐसे अकाउंऊंट होल्डर्स हैं जिन्होंने 10 लाख रुपए से अधिक जमा कराए हैं। एक करोड़ अकाऊंट्स में संदिग्ध कैश डिपॉजिट भी हुए हैं। ये अकाऊंट्स 75 लाख लोगों के हैं।