12 हजार करोड़ रुपए से पूरा होगा चारधाम प्रोजेक्ट, हाइवे पर बनेंगे हेलीपैड
देहरादून। चारधाम यात्रा पर श्रद्धालुओं को होने वाली परेशानी की खबर हमेशा सामने आती रहती है। कभी सड़क हादसे तो कभी प्राकृतिक आपदा इस मार्ग पर मुसीबत बनकर सामने आती है। लेकिन अब हालात बदलने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री देहरादून में दोपहर 12.30 बजे चारधाम महामार्ग विकास परियोजना का शुभारंभ करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को न सिर्फ उत्तराखंड को बल्कि चार धाम की यात्रा करने वाले तमाम श्रद्धालुओं को तोहफा देने वाले हैं। देहरादून में प्रधानमंत्री चार धाम महामार्ग विकास परियोजना का उद्घाटन करने वाले हैं, जिससे न सिर्फ चार धाम की यात्रा आसान होगी बल्कि पहाड़ी क्षेत्र का विकास भी होगा। ऋषिकेश से शुरू होने वाला ये प्रोजेक्ट केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री तक जाएगा।
900 किमी लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग
चारधाम प्रोजेक्ट के तहत उत्तराखंड में 900 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया जाना है। इसपर 12,000 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। इन रास्तों पर 132 पुल, 13 बाई पास और 2 खास टनल बनाए जाएंगे। साथ ही इसके तहत बनने वाले सभी राष्ट्रीय राजमार्ग दो लेन के होंगे और इनकी न्यूनतम चौड़ाई 10 मीटर होगी।
पहला हाइवेः पहला हाइवे ऋषिकेश से शुरू होगा जो रूद्रप्रयाग तक जाएगा। रूद्रप्रयाग से आगे एक रास्ता बद्रीनाथ तक जाएगा और दूसरा गौरीकुंड होते हुए केदारनाथ तक पहुंचेगा। इस हाइवे को बनाने में 4784 करोड़ का खर्च आएगा।
दूसरा हाइवेः दूसरा हाइवे ऋषिकेश से शुरू होगा और धारासू तक पहुंचेगा। फिर धारासू से आगे बढ़ता हुआ एक रास्ता गंगा की उद्गम स्थली गंगोत्री तक पहुंचेगा और दूसरा यमुना के उद्गम स्थान यमुनोत्री तक पहुंचेगा। इस हाइवे को बनाने में 5626.5 करोड़ का खर्च आएगा।
तीसरा हाइवेः तीसरा हाइवे टनकपुर से पिथौरागढ़ तक पहुंचेगा। ये नेशनल हाइवे नंबर 125 होगा। जिसे बनाने में 1557 करोड़ का खर्च आएगा।
इन राष्ट्रीय राजमार्गों के बनने के बाद सिखों के धर्म स्थल हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी यानी वैली ऑफ फ्लावर्स और ऑली जैसी जगहों तक पहुंचना भी आसान हो जाएगा।
इन राजमार्गों के दोनों तरफ पैदल पट्टी होगी। रास्ते में किसी तरह की अड़चन न हो इसके लिए जगह-जगह सुरंग, बाईपास, छोटे- बड़े पुलों और सब-वे बनाए जाएंगे। बरसात के मौसम में भूस्खलन से बचाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। चारधाम महामार्ग परियोजना के रास्ते में जगह-जगह मोटल, रेस्त्रां के अलावा गाड़ियों की पार्किंग का इंतज़ाम होगा। हादसों के दौरान लोगों को हेलीकॉप्टर से निकालने के लिए हेलीपैड भी बनाए जाएंगे। सुरंगों और छोटे रास्तों के जरिये चारों धाम के बीच की दूरी को 813 किमी से घटाकर 389 किमी तक किया जाना है।