14 अप्रैल को तंत्रशास्त्र के मंत्रों से गणपति को रिझाएं, पूरी होगी धन-वैभव की कामना
14 अप्रैल, को वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि और मासिक श्री गणेश चतुर्थी व्रत है, सोने पर सुहागे का काम कर रहा है शुक्रवार। जो देवी लक्ष्मी के प्रिय दिनों में से एक है। शास्त्रों के अनुसार गणपति को महालक्ष्मी का मानस-पुत्र माना गया है। तभी तो दीपावली के शुभ अवसर पर भी इन दोनों का पूजन किया जाता है। किसी भी कार्य को करने से पहले गणपति का पूजन किया जाता है लेकिन इसके साथ ही गणपति के विविध नामों का स्मरण सभी सिद्धियों को प्राप्त करने का सर्वोत्तम साधन एवं नियामक भी है। महालक्ष्मी के साथ गणपति का पूजन करने में संभवतः एक भावना यह भी कही गई है कि मां लक्ष्मी अपने प्रिय पुत्र की भांति हमारी भी सदैव रक्षा करें। हमें भी उनका स्नेह व आशीर्वाद मिलता रहे।
देवी लक्ष्मी धन की देवी हैं तो गणेश जी बुद्धि के दाता। किसी भी व्यक्ति के पास धन तभी टिकता है जब वह उसका सोच-विचार कर सदुपयोग करता है। आमतौर पर देखा जाता है की धनवान बनते ही व्यक्ति अपना विवेक खो देता है। गणेश जी हमें बुद्धि देते हैं और उसी के बल पर हम धन का उचित तरीके से उपयोग कर सकते हैं।
महालक्ष्मी के साथ गणेश पूजन में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि गणपति को सदा महालक्ष्मी की बाईं ओर ही रखें। आदिकाल से पत्नी को ‘वामांगी’ कहा गया है। बायां स्थान पत्नी को ही दिया जाता है। अतः कभी भी पूजा करते समय लक्ष्मी-गणेश को इस प्रकार स्थापित करें कि महालक्ष्मी सदा गणपति के दाहिनी ओर ही रहें, तभी पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होगा।
तंत्रशास्त्र के मंत्रों से गणपति को रिझाएं
तंत्र शास्त्र में निम्न गणेश मंत्रों का जप अभीष्ट फल प्राप्ति में सहायक होता है-
उच्छिष्ट गणपति मंत्र
मंत्र महोदधि अनुसार मंत्र इस प्रकार है:-
‘हस्तिपिशाचिलिखे स्वाहा।’
विनियोग, ऋषियादिन्यास, करन्यास, ध्यान पश्चात् सोने-चांदी आदि से निर्मित गणपति यंत्र या सफेद आक या लाल चंदन से निर्मित अंगूठे के बराबर गणपति की आकृति बनाकर रात्रि को भोजन के बाद लाल वस्त्र धारण कर निवेदित मोदक, गुड़, खीर या पान आदि खाते हुए कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी से शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तक उपर्युक्त मंत्र के सोलह हजार जप करने से सम्पत्ति, यश, रोजगार की प्राप्ति होती है। इस मंत्र का पांच हजार हवन करने से श्रेष्ठ पत्नी की प्राप्ति, दस हजार हवन करने से उत्तम रोजगार एवं रूद्रयामल तंत्र के अनुसार प्रतिदिन एक हजार जप करने से कार्यों में विघ्न दूर हो कर कठिनतम कार्य भी पूर्ण होते हैं।
शक्ति विनायक मंत्र
मंत्र महोदधि अनुसार मंत्र इस प्रकार है :
ऊँ ह्मीं ग्रीं ह्मीं
उपयुक्त मंत्र का पुरश्चरण चार लाख जप है। चतुर्थी से आरम्भ कर इसका दशांश हवन, तर्पण, मार्जन और ब्राह्मण भोजन पश्चात् घी सहित अन्न की आहुति से हवन करने पर रोजगार प्राप्ति, गन्ने के हवन से लक्ष्मी प्राप्ति, केला और नारियल के हवन से घर में सुख शांति प्राप्त होती है।
हरिद्रा गणेश मंत्र
ऊँ हुं गं ग्लौं हरिद्रागणपतये वर वरद सर्वजनहृदयं स्तम्भय स्तम्भय स्वाहा’
यह 32 अक्षरों का मंत्र है। इसका पुरश्चरण चार लाख जप है। पिसी हल्दी का शरीर में लेप कर हल्दी मिले हुए घी और चावल से दशांश हवन, तर्पण, मार्जन ब्राह्मण भोजन के पश्चात् लाजा के हवन से मनोवांछित विवाह एवं संतान प्राप्त होती है। शत्रु, चोर, जल, अग्नि आदि से रक्षा होती है। वाणी स्तम्भन एवं शत्रु से रक्षा होती है।
ऋणहर्ता गणेश मंत्र
कृष्णयामल तंत्र के अनुसार मंत्र इस प्रकार है:-
ऊँ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नम: फट् ।’
उपर्युक्त मंत्र का दस हजार पुरश्चरण या 1 लाख जप से ऋण से मुक्ति एवं धन प्राप्ति होती है, घर में खुशहाली व शांति आती है।
वक्रतुण्डाय गणेश मंत्र
मंत्र महोदधि अनुसार मंत्र इस प्रकार है:-
वक्रतुंडाय हुं ।
छह अक्षरों के इस मंत्र का पुरश्चरण छ: लाख जप है। अष्टद्रव्यों से दशांश हवन-तर्पण आदि के बाद घी मिला कर अन्न की आहुति देने से दरिद्रता दूर होकर धन की प्राप्ति होती है। वीरभद्रो तंत्र के अनुसार ऊँ गं गणपतये नम:’ मंत्र का जाप एवं गणेश अर्थवशीर्ष का नित्य पाठ विद्या प्रदान करने वाला, विध्न का नाश एवं समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला है।
इन मंत्रों के जाप से गणेश जी होंगे प्रसन्न लक्ष्मी प्राप्ति के लिए
सिद्धि विनायक गणपति की पूजा के बाद ऊँ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वरवरद सर्वाजनं मे वशमानयस्वाहा’ मंत्र के नित्य एक माला के जप करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
संतान प्राप्ति के लिए
श्री गणपति की मूर्ति पर संतान प्राप्ति की इच्छुक महिला प्रतिदिन स्नानादि से निवृत्त होकर एक माह तक बिल्व फल चढ़ाकर ऊं पार्वती प्रियनंदनाय नम:’ मंत्र की 11 माला प्रतिदिन जपने से संतान प्राप्ति होती है।