23 जनवरी को करें ये काम, तिल से लेकर ताड़ तक सभी परेशानियों का होगा हल एकसाथ

माघ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को षटतिला नाम से जाना जाता है। 23 जनवरी सोमवार को षटतिला एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। श्री हरि को प्रसन्न करने का सरलतम माध्यम है षटतिला एकादशी पर तिल अथवा उससे बनी चीजों का दान, इससे पापों का नाश होता है। इस दिन काले तिलों के दान का विशेष महत्व है। शरीर पर तिल के तेल की मालिश, तिल जल स्नान, तिल जलपान तथा तिल पकवान का सेवन करने पर घोर से घोर पाप का नाश होता है। शास्त्रों में भी कहा गया है-
 
तिलस्नायी तिलोद्वार्ती तिलहोमी तिलोद्की।
तिलभुक् तिलदाता च षट्तिला: पापनाशना:।।

अर्थात-  तिल का उबटन लगाकर, जल में तिल मिलाकर स्नान करना, तिल से हवन करना, पानी में तिल को मिलाकर पीना, तिल से बने पदार्थों का भोजन करना और तिल अथवा तिल से बनी चीजों का दान करने से सभी पापों का नाश होता है। 


भगवान विष्णु जी के प्रिय भक्तों को सदा ही एकादशी व्रत का पालन सच्चे भाव से करना चाहिए।  इस व्रत में बिना मांगे ही भक्त को सभी सुखों की प्राप्ति होती है । वैसे तो प्रत्येक एकादशी पर दीपदान करने का महात्मय है परंतु एकादशी व्रत में दीपदान करने तथा रात्रि संकीर्तन से बड़ा कोई कर्म नहीं है। एकादशी को केवल श्री हरि विष्णु का भजन-र्कीतन ही करना चाहिए। एकादशी का फल भी शास्त्रों में बहुत ही ऊंचा बताया गया है।

 

पीपल के पेड़ को शास्त्रों में अश्वत्थ कहा गया है और इसे श्री हरि विष्णु का स्वरूप माना जाता है। जब पिप्पलाद मुनि ने पीपल के पेड़ के नीचे तपस्या करके शनि देव को प्रसन्न किया तत्पश्चात इस पेड़ का नाम पीपल पड़ा। आज शाम पीपल के पेड़ पर तिल के तेल का दीपक जलाएं और ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का पेड़ के नीचे ही बैठ कर 108 बार जाप करें। षटतिला एकादशी पर पीपल के पेड़ की पूजा करने से पति की उम्र लम्बी होती है और उन पर आने वाले कष्ट टलते हैं। कोर्ट कचहरी और मुकदमें में विजय प्राप्त होती है, धन से संबंधित परेशानियों से राहत मिलती है एवं व्यावसायिक परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

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