बिहार में ये कैसा स्कूल! 3 दिन लड़कियों की पढ़ाई और बाकी 3 दिन लड़कों की
बिहार के एक स्कूल में अनोखे अंदाज में पढ़ाई हो रही है. यहां बच्चों की संख्या इतनी अधिक है और कमरे सिर्फ चार हैं इसलिए एक छात्र एक सप्ताह में सिर्फ तीन दिन पढ़ाई कर पाता है. इस स्कूल में 3 दिन लड़कियां पढ़ती हैं और बाकी 3 दिन लड़के.
बिहार के मधुबनी में 97 वर्ष पुराने जीएसएसएस हाईस्कूल में 8वीं से 10+2 तक की पढ़ाई की व्यवस्था है जहां 1200 छात्र-छात्राएं हैं . इस स्कूल में सिर्फ चार कमरे हैं. सभी बच्चों के स्कूल में पहुंचने के बाद बैठने की बात तो दूर खड़े रहने के लिए भी जगह कम पर जाती है. इस स्कूल में सोमवार, मंगलवार और बुधवार को लड़कियों की पढ़ाई होती है जबकि गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को लड़के पढ़ने के लिए आते हैं.
2014 के भूकंप में स्कूल बिल्डिंग के क्षतिग्रस्त होने के बाद +2 के लिए बनाये गए नये भवन में स्कूल शिफ्ट कर दिया गया. ऐसे में 1200 स्टूडेंट्स को पढ़ाना मुश्किल हो गया है. लिहाजा स्कूल के प्रिंसिपल ने स्कूल को संचालित करने के लिए नया फार्मूला खोज निकाला है.
बड़ी बात यह भी है कि स्कूल के चार कमरों में एक प्रिंसिपल और एक स्टॉफ रूम के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है और बाकी के दो कमरे को क्लासरूम चल रहे हैं. स्कूल में संसाधनों की कमी के कारण स्कूल आने वाले स्टूडेंट्स की संख्या भी काफी कम रह गई.
जानकारी के मुताबिक इस स्कूल में कुल 32 टीचर हैं जिसमें 22 नियोजित और 10 पुराने शिक्षक हैं. स्कूल में 2 क्लर्क और 2 चपरासी हैं. पुराने शिक्षकों का वेतन 75 हजार जबकि नियोजित शिक्षकों की सैलरी साढ़े 22 हजार के आसपास है. जबकि क्लर्क की सैलरी 35-40 हजार और चपरासी की 25 हजार है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री चतुरानंद मिश्र और मधुबनी के विधायक समीर महासेठ भी इस स्कूल के स्टूडेंट हर चुके हैं.यह जिले का दूसरा सबसेे बड़ा स्कूल है.
स्कूल की छात्रा रंजना कुमारी का कहना है कि इस व्यवस्था से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हमलोगों का कोर्स भी पूरा नहीं हो पा रहा है. तीन दिनों में जो पढ़ते हैं वो भूल जाते हैं. उधर, टीचर सूनीता का कहना है कि भवन की कमी के कारण कठिनाई हो रही है. इस फार्मूले की वजह से कोर्स पूरा नहीं हो पाता. एक बार एक चैप्टर पढ़ाने के बाद पता नहीं फिर कब उस चैप्टर को पढ़ाने का मौका मिलेगा.
स्कूल के प्रिंसिपल डॉ विश्वनाथ पासवान ने कहा कि मजबूरी के कारण स्कूल में इस तरह की व्यवस्था की गई है. स्कूल में क्लास रुम की कमी है. इस बात की लिखित शिकायत शिक्षा विभाग के आलाधिकारियों से भी की गयी लेकिन अब तक कोई पहल नहीं की गयी है.
प्रिंसिपल ने बताया कि भूकंप में बिल्डिंग खराब होने के कारण सुरक्षा के मद्देनजर कई कमरों को बंद कर दिया गया है. प्लस टू के लिए बनाई गई नयी बिल्डिंग में सिर्फ चार कमरे हैं. लिहाजा इन चार कमरे ( दो कमरे) में स्टूडेंट्स को एजस्ट किया जा रहा है. स्कूल में कुल 1200 स्टूडेंट्स हैं. नई व्यवस्था के तहत तीन दिन छात्रों और तीन दिन छात्राओं के लिए फिक्स किया गया है.
नये फार्मूले ने स्कूल की भीड़ को जरुर कम कर दिया है लेकिन ऑड ईवन फार्मूले ने पढाई को चौपट कर दिया है. स्कूल में सिर्फ 40-50 छात्र और डेढ़ सौ के करीब छात्राएं ही दिखेें. अब सवाल यह भी उठता है कि इंटर टॉपर घोटाले जैसी घटनाओं के लिए क्या सिर्फ स्टूडेंट ही जिम्मेदार हैं?