ग्रहण देखने से परहेज करें गर्भवती महिलाएं
बुधवार को लगने वाला चंद्र ग्रहण इस बार अधिकांश राशियों के जातकों के लिए शुभ नहीं है। भारतीय ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के ज्योतिषाचार्य ने इस बारे में जानकारी दी है। बुधवार को चंद्रग्रहण सांय 5 बजकर 18 मिनट से शुरु होकर 8 बजकर 41 मिनट तक रहेगा जबकि चंद्र की मलिनता 9:41 तक रहेगी। ग्रहण का सूतक प्रात: आठ बजकर सत्रह मिनट से प्रारंभ होकर पांच बजकर 17 मिनट तक रहेगा। इन चौदह घंटों के कालखंड में कोई भी नवीन व शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक इस बार गर्भवती महिलाओं को ग्रहण देखने से परहेज करना होगा। ग्रहण काल में जलपान व भोजन से भी परहेज करना चाहिए। इसके साथ ही शुभ फल पाने के लिए सूतक से ग्रहण के मोक्ष तक विशेष सामान खरीदना व बेचना वर्जित होता है। मंदिरों के कपाट सूतक काल से ग्रहण समाप्ति तक बंद रखे जाने चाहिए। ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए केंद्र के ज्योतिषाचार्य डॉ. सुनील पैन्यूली ने बताया कि ग्रह शांति हेतु छाया पात्र का दान करना कल्याणकारी रहेगा। इसके साथ ही रोग की शांति के लिए महामृत्युंजय जप करना उचित होगा। जबकि ग्रहण के प्रारंभ में स्नान करने के बाद मध्य में मंत्र जप व मोक्ष के उपरांत दुबारा स्नान किया जाना जरूरी है। कहा कि ग्रहण पुष्य व अश्लेषा नक्षत्र में लग में लग रहा है लिहाजा इन नक्षत्रों के जातकों को अशुभ फल से बचने के लिए सामर्थ्य के अनुसार अन्न दान करना फलदाई साबित होगा।
राशि के जातकों पर ग्रहण का प्रभाव:
-मेष: धन लाभ, रुके हुए कार्य बनेंगे।
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-वृष: प्रगति, व्यापार में लाभ, योजना में सफलता मिलेगी।
-मिथुन: धन हानि, यात्रा में कष्ट, तनाव के योग हैं।
-कर्क: शारीरिक व मानसिक कष्ट, चोट, धन हानि के आसार।
– ¨सह: तनाव, कलह, हानि के योग।
-कन्या: व्यवसाय, नौकरी में लाभ, उन्नति।
-तुला: शरीर में कष्ट, कार्यो में कठिनाई, तनाव के आसार।
-वृश्चिक: संतान को कष्ट, कार्यो में विलंब हो सकता है।
-धनु: भय, कार्यो में सफलता के योग।
-मकर: दांपत्य जीवन में प्रतिकूलता, तनाव की संभावना।
-कुंभ: रोग, मानसिक ¨चता, व्यापार में हानि के आसार।
-मीन: अपव्यय, व्यर्थ की दौड़ भाग हो सकती है।
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गंगाजल अवश्य पिएं
सेलाकुई स्थित श्री आद्यशक्ति विद्यापीठ एंव संस्कार जागृति केंद्र के संस्थापक ज्योतिषि डॉ. पंकज किशोर गौड़ ने 31 जनवरी को चंद्रग्रहण को साधना के लिए विशेष बताया। कहा कि ग्रहण का सूतक प्रात: 8 बजे के बाद से शुरू हो जाएगा। ग्रहण उपरांत स्नान या गंगा जल अवश्य पिएं। मंदिर में मूर्ति स्पर्श न करें। गर्भवती महिला ग्रहण की अवधि में कोई चीज न काटे, छोंका न लगाए और न सोए। अपने ईष्ट देव से आर्शीवाद लें। हरि ऊं तत्सत नारायण नारायण, ऊं नम: शिवाय, रामराम की माला का जप करें। क्रोध, आलस्य बिल्कुल न करें। अपने साक्षात गुरु, माता-पिता को सादर प्रणाम करें। ज्योतिषि गौड़ के अनुसार ग्रहण सकारात्मक सोच के साथ आराध्य देव को मनाने का अवसर है। सामूहिक रूप से संकीर्तन ध्यान करें।