रीजेंट की आपूर्ति ठीक से न होने की वजह से दवा प्रतिरोधी टीबी की जांच रुकी

दिल्ली | स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक लैब में रीजेंट की आपूर्ति ठीक से न होने की वजह से दवा प्रतिरोधी टीबी की जांच रुक गई है। यह एक ऐसा टीबी है जिसपर ज्यादातर दवाओं का कोई असर नहीं होता है। टीबी का यह स्तर मरीजों के लिए बहुत ही खतरनाक होता है। इस स्तर पर ज्यादातर टीबी रोधी दवाएं अपना असर नहीं दिखा पाती हैं।
दरअसल, एम्स के मेडिसिन विभाग के आईआरएल लैब में दवा प्रतिरोधी टीबी की जांच के लिए कई तरह के कल्चर और अन्य जांच होती हैं। अब लैब में रीजेंट की कमी हो गई है, इस वजह से लैब ने फर्स्ट लाइन एलपीए जांच, एमजीआईटी कल्चर और डीएसटी जांच नहीं हो पा रही है। लैब की ओर से विभागों और अन्य लैब को लिखे गए मेल में लिखा गया है कि लैब में रीजेंट की कमी की वजह से ये जांच कुछ समय के लिए रोक दी गयी है। मेल में लिखा गया है कि रीजेंट उपलब्ध होने पर ये जांच फिर शुरू हो जाएंगी।
दिल्ली के कई बड़े अस्पतालों के सैम्पल इसी लैब में भेजे जाते हैं
एम्स के मेडिसिन विभाग के आईआरएल लैब में दवा प्रतिरोधी टीबी का पता लगाने के लिए न सिर्फ एम्स में आने वाले मरीजों के सैम्पल की जांच होती है बल्कि कई अन्य बड़े अस्पताल भी इसी लैब पर इन जांच के लिए निर्भर हैं। इनमें लेडी हार्डिंग के कई विभाग, कलावती सरन अस्पताल, राम मनोहर लोहिया अस्पताल जैसे अन्य अस्पताल भी शामिल हैं।
डॉक्टर बोले कैसे पता लगाएं दवा प्रतिरोधी टीबी का
दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के एक डॉक्टर ने बताया कि उनके भी कुछ मरीजों के सैम्पल इसी लैब में भेजे जाते थे। उन्होंने कहा कि कई दिनों से जांच बंद है। ऐसे में वे कैसे पता लगा सकेंगे कि उनके मरीज को कहीं दवा प्रतिरोधी टीबी की बीमारी तो नहीं है। वहीं, महारानी बाग में रहने वाले पीयूष ने बताया कि उनके बच्चे को डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड में टीबी होने का शक जाहिर किया था। लम्बे समय से इलाज चल रहा है। अब कुछ सैम्पल लैब में देने के लिए डॉक्टर ने कहा लेकिन जब लैब में गए तो पता चला कि कुछ दिनों से ये जांच नहीं हो रही हैं। इन जांच से दवा प्रतिरोधी टीबी के अलावा यह भी पता चलता है कि माइक्रोबैक्टीरिया कितना बढ़ रहा है
