क्यों ऐसा लगता है कि गुजरात के उच्च शिक्षण संस्थानों में राजनीतिक दख़लंदाज़ी बढ़ रही है?
गुजरात के उच्च शिक्षण संस्थानों में राजनीतिक दख़लंदाज़ी बढ़ती दिख रही है. सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ गुजरात (सीयूजी) ने अपने नौ शिक्षकों को जिस तरह और जिन आधारों पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है उससे यह संकेत मिलता है. सूत्रों के हवाले से द इंडियन एक्सप्रेस ने इस मामले का ख़ुलासा किया है.
बताया जाता है कि सीयूजी ने अपने इन शिक्षकों को पूरी तरह राजनीतिक कारणों से नोटिस जारी किए हैं. सूत्र बताते हैं कि इन शिक्षकों के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र इकाई- अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के लेटर हेड पर शिकायत मिली थी. लेकिन अंग्रेजी में लिखे इस शिकायती पत्र पर किसी के दस्तख़त नहीं थे. नीचे इतना ही लिखा था, ‘सीयूजी के एबीवीपी के छात्र.’ यह शिकायती पत्र 17 नवंबर 2017 को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के नाम पर भेजा गया था.
सूत्रों के मुताबिक शिकायत के साथ कुछ दस्तावेज़ी सबूत और तस्वीरें भी थीं. इनके आधार पर यह बताया गया था कि इन नौ शिक्षकों की राजनीतिक प्रतिबद्धता राज्य की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के साथ नहीं है. इन सभी शिक्षकों ने बीते विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता अल्पेश ठाकोर, दलित नेता जिग्नेश मेवानी और पाटीदार नेता हार्दिक पटेल का खुले तौर पर समर्थन किया था. इसमें यह आरोप भी लगाया गया था कि ये शिक्षक सीयूजी को दूसरा जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू यूनवर्सिटी, दिल्ली) बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
बताते हैं कि प्रकाश जावड़ेकर के अलावा शिकायत की प्रति राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और शिक्षा विभाग को भी भेजी गई थी. इन तीनों जगहों से आगे की ‘उचित कार्रवाई’ के लिए शिकायत सीयूजी को भेज दी गई. इसके बाद शिक्षकों को नोटिस जारी किए गए. सीयूजी के कुलपति अब्दुल बारी सिद्दीक़ी इसकी पुष्टि भी करते हैं. पर दिलचस्प बात यह है कि ख़ुद एबीवीपी ने यह मानने इंकार कर दिया है कि शिकायत उसने ही भेजी थी.