रणनीतिक बातचीत के दौरान कठिन समझौतों की ओर बढ़ रहे भारत और चीन
पेइचिंग
विदेश सचिव एस जयशंकर ने यह कहते हुए पेइचिंग में होने जा रही रणनीतिक बातचीत की रूपरेखा तय कर दी है कि चीन के साथ अच्छे रिश्ते कायम रखने की प्रतिबद्धता काफी दृढ़ है। भारत चीन के साथ असहमति के बड़े मुद्दों पर अपने पक्ष से पीछे हटे बिना इस पड़ोसी देश के साथ अपने रिश्ते कायम रखना चाहता है।
जयशंकर बुधवार को चीन के कार्यकारी विदेश उप मंत्री और अन्य अधिकारियों के साथ पहले दौर की पुनर्गठित रणनीतिक वार्ता में भाग लेंगे। दोनों पक्ष अपने रिश्तों को प्रभावित करने वाले संघर्ष के कुछ बिंदुओं को लेकर कठिन समझौतों की ओर अग्रसर हैं। इस दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि बातचीत और राय-मशविरे की प्रक्रिया को नुकसान नहीं पहुंचे।
बुधवार को पहले दौर की बातचीत के दौरान जो दो कांटेदार मुद्दे सामने होंगे, वो हैं- पाकिस्तानी आतंकवादी अजहर मसूद के मुद्दे और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की एंट्री के खिलाफ चीन का नजरिया। लेकिन, जयशंकर ने संकेत दिए हैं कि भारत चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के कुछ पहलुओं पर सवाल उठाएगा जो भारत के दावे वाले विवादित कश्मीर से होकर गुजरता है।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में जयशंकर का बयान छपा है। उन्होंने कहा, 'हमारे लिए यह संप्रभुता का सवाल है जिसका समाधान सबसे पहले करने की जरूरत है।' नई दिल्ली का मानना है कि आर्थिक गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर भारत के स्टैंड का तिरस्कार करता है। जयशंकर ने ग्लोबल टाइम्स से कहा, 'जहां तक बात आतंकवाद की है, तो आतंकवाद के खिलाफ चीन का काफी मजबूत और सैद्धांतिक नजरिया है। उम्मीद करते हैं कि चीन इस नजरिए पर आगे काम करेगा।'
भारतीय विदेश सचिव ने पेइचिंग में चीन के स्टेट काउंसलर से मुलाकात की। जयशंकर ने कहा, 'वह भारत-चीन रिश्ते कायम रखने की दृढ़ प्रतिबद्धता की भावना के साथ यहां आए हैं।' 2013 तक चीन में भारत के राजदूत रहे जयशंकर ने कहा कि वह 'पुरानी यादों और बहुत अच्छी भावनाओं' के साथ पेइचिंग आए हैं।
उधर, चीन के स्टेट काउंसलर ने कहा कि प्रणव मुखर्जी की चीन यात्रा और प्रधानमंत्री मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ तीन-तीन मुलाकातों की वजह से 2016 में भारत-चीन रिश्ते में सकारात्मक प्रगति हुई है। उन्होंने कहा' 'हमारे बीच विभिन्न स्तरों पर अच्छी बातचीत हुई और अर्थव्यवस्था, व्यापार, संस्कृति और लोगों की आवाजाही के क्षेत्र में हमने बेहतरीन सहयोग जारी रखा है। भारत और चीन ढुलमुल और जटिल वैश्विक स्थिति के बावजूद शानदार आर्थिक और सामाजिक विकास कायम रख पाने में सक्षम रहे हैं।'
उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद है कि आने वाले सालों में दोनों देश लोगों की आवाजाही और पारस्परिक लाभ के सहयोग को बढ़ावा देंगे ताकि हम दोनों मिलकर हमारे क्षेत्र और दुनिया में शांति, स्थिरता और विकास में और ज्यादा योगदान दे सकें, साथ ही हम अपने-अपने देशों, दोनों देशों के नागरिकों और पूरी दुनिया को ज्यादा लाभान्वित कर सकेंगे।' उन्होंने पहले चीन में भारतीय राजदूत और अब विदेश सचिव, दोनों स्तर से चीन के साथ रिश्तों में 'महत्वपूर्ण योगदान' देने के लिए जयशंकर को धन्यवाद दिया।