बिल्डरों के खिलाफ असोसिएशन बनाकर NCDRC जा सकते हैं घर खरीदार: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि घर खरीदारों को बिल्डरों के खिलाफ असोसिएशन बनाकर नैशनल कन्ज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (एनसीडीआरसी) में शिकायत करने का अधिकार है। इससे राज्यों के स्तर और नैशनल कन्ज्यूमर फोरम में मुकदमों का दोहराव रुक सकता है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने आम्रपाली ग्रुप की याचिका खारिज कर दी, जिसमें एक रजिस्टर्ड कन्ज्यूमर असोसिएशन की तरफ से एनसीडीआरसी में नोएडा में आम्रपाली ग्रुप के सफायर प्रॉजेक्ट के कई खरीदारों की तरफ से शिकायत दर्ज कराने को चुनौती दी गई थी। गौरतलब है कि मौजूदा उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत सीधे एनसीडीआरसी में याचिका तभी दाखिल की जा सकती है जब लगात 1 करोड़ रुपये से ज्यादा हो। इससे कम की लागत वाले मामले से जुड़ी शिकायतें जिला उपभोक्ता फोरमों में ही देनी पड़ती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि होम बायर्स की शिकायतें सुनी जानी चाहिए। इस मामले में आम्रपाली सफायर फ्लैट बायर्स वेलफेयर असोसिएशन के वकील साहिल सेठी ने बताया, 'सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आम्रपाली ने खरीदार से रकम ली है और ना ही उन्हें पजेशन दिया है और ना ही वह उनकी रकम वापस कर रहा है।' आम्रपाली ग्रुप की तरफ से पैरवी कर रहे वकील राकेश कुमार ने भी याचिका खारिज किए जाने की पुष्टि की। उन्होंने कहा, 'हम एनसीडीआरसी में कार्यवाही जारी रखेंगे।'
मई 2016 में आम्रपाली सफायर के करीब 100 खरीदारों ने एनसीडीआरसी के सामने एक शिकायत दर्ज कराई थी। आम्रपाली ने इसके जवाब में कहा था कि उपभोक्ता संरक्षण कानून, 1986 के तहत केस तर्ज कराने के लिए असोसिएशन का ब्यूरो ऑफ इंडिया स्टैंडर्ड्स से मान्यता-प्राप्त होना जरूरी है। आम्रपाली ने यह भी कहा था कि इस प्रॉजेक्ट में अपार्टमेंट की कीमत 1 करोड़ रुपये से कम है। इसलिए इसे नैशनल कमीशन में नहीं ले जाया जा सकता। उसने कहा था कि इस वजह से यह मामला लखनऊ में स्टेट कमीशन में दर्ज कराया जाना चाहिए।
इन दोनों ही दलीलों पर एनसीडीआरसी ने अगस्त 2016 में होम बायर्स के हक में फैसला सुनाया था। आम्रपाली ग्रुप उसके बाद सुप्रीम कोर्ट चला गया था। वहां उसने एनसीडीआरसी के फैसले पर रोक लगाने की अर्जी दी थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने होम बायर्स की असोसिएशन से जवाब मांगा था। असोसिएशन ने देश की सबसे बड़ी अदालत में कहा कि अपील इसलिए दाखिल की गई है क्योंकि आम्रपाली एनसीडीआरसी में चल रही कार्यवाही को लटकाना चाहती है।