जम्मू कश्मीर मानवाधिकार पर यूएन की रिपोर्ट को सेनाध्यक्ष ने बताया प्रायोजित

जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन की बातें हाल की संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट में आने के बाद पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ते हुए सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने कहा कि इस पर कुछ ज्यादा बोलने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह पूरी तरह से प्रायोजित है।

  

सेनाध्यक्ष ने कहा- "हमें कश्मीर पर आयी रिपोर्ट पर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। ऐसे कुछ रिपोर्ट्स प्रायोजित होते हैं। भारतीय सेना का मानवाधिकार रिकॉर्ड बेहतर है और भारत की जनता, सेनाकर्मी, और दुनियाभर के देश इस सच्चाई को जानते हैं।" 


भारत संयुक्त राष्ट्र के इस मानवाधिकार रिपोर्ट को पहले ही प्रेरित, झूठा और पक्षपातपूर्ण बता चुका है। गौरतलब है कि 14 जून को जारी की गई यूएन रिपोर्ट में सीमा के दोनों तरफ कश्मीर और पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन की बातें कही गई है। इसके साथ ही, रिपोर्ट में कथित बर्बरता के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की गई।


विदेश मंत्रालय ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया में इस रिपोर्ट को पहले ही पक्षपातपूर्ण करार दिया है। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट से देश की संप्रभुता का उल्लंघन हुआ है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह रिपोर्ट ज्यादातर बिना वैरिफाइड इन्फॉर्मेशन के आधार पर तैयार की गई है। विदेश मंत्रालय ने आगे कहा- "जम्मू कश्मीर का सारा हिस्सा भारत का आंतरिक हिस्सा है। पाकिस्तान जबरदस्ती भारतीय राज्य के एक हिस्सा पर कब्जा जमा रखा है।"   

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