gaya shradh: पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने गया जा रहे हैं तो इन बातों को जान लें

गया प्राचीन काल से ही धार्मिक आस्था का केन्द्र रहा है। यह ना सिर्फ हिंदू धर्म को मानने वालों के लिए पूजनीय है बल्कि बौध धर्म की आस्था का भी प्रमुख स्थल है। इन दिनों पितृपक्ष चल रहा है जिसमें पितरों के लिए पिण्डदान और श्राद्ध किया जाता है। कई पुराणों और ग्रंथों में गया में पिंडदान और श्राद्ध का महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि यहां पितरों का कर्म करने से उनको मुक्ति मिल जाती है। इसलिए पितृपक्ष में बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं। अगर आप भी यहां जाने की सोच रहे हैं तो इन बातों को जान लीजिए ताकि वहां जाने पर आपको कठिनाइयों का सामना ना करना पड़े।
पिंडदान पूजा कराने के लिए यहां कई आश्रम हैं, जैसे- भारत सेवा आश्रम, बंगाली सेवा आश्रम आदि। यहां से आप पूजा करवा सकते हैं। इसके लिए आपको इन्हें पहले से बताना होता है। इसके अलावा, आप पूजा के लिए अपने होटल में भी पंडा बुक करने के लिए कह सकते हैं। लेकिन बेहतर होगा कि अपने क्षेत्र के पंडा के बारे में जानकारी लेकर उनसे कर्म करवाएं।
गया में ठहरने के कई विकल्प हैं। यहां होटल्स के अलावा, कई गेस्ट हाउस भी हैं, जहां मामूली कीमत पर ठहरने की सुविधा दी जाती है। इसके अलावा, मठों में भी ठहरने की सुविधा उपलब्ध है, जहां केवल 200-300 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से कमरे मिल जाते हैं, लेकिन सीजन के दौरान यहां कमरे मिलना काफी मुश्किल होता है।
गया में घूमने के लिए कई स्थान हैं। यहां से आप बोधिवृक्ष देखने जा सकते हैं। इसी स्थान पर महात्मा बुद्ध ने उपदेश दिए थे। यह पेड़ पुराने बोधिवृक्ष की पांचवी पीढ़ी है। दुनियाभर से लोग यहां प्रार्थना करने आते हैं। इसके अलावा, महाबोधि मंदिर भी जा सकते हैं। इस मंदिर के परिसर में बोधिवृक्ष है, जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
बौद्ध धर्म कई देशों में फैला हुआ है। बोध गया भगवान बुद्ध की भूमि है, इसलिए इस धर्म को मानने वाले कई दशों के अनुयाइयों ने अपनी शैली में यहां मंदिरों का निर्माण कराया हुआ है। आप विभिन्न शैली में बने इन मंदिरों का आसानी से दर्शन कर भगवान बुद्ध और बौद्ध धर्म को नजदीक से जान सकते हैं।
बोध गया जाएं तो आप अर्कियॉलजी म्यूजियम जरूर जाएं। इस म्यूजियम में महाबोधि पेड़ के चारों ओर लगने वाली असली रेलिंग रखी है। बौद्ध गया से 70 किलोमीटर दूर नालंदा यूनिवर्सिटी है, आप यहां घूमने भी जा सकते हैं और ज्ञानभरे अपने पूर्वजों और अपने इतिहास पर गर्व कर सकते हैं।
यहां पूजा करवाने के लिए आपको कई लोग मिलेंगे और आपसे बहुत ज्यादा पैसे की मांग करेंगे, लेकिन पूजा कराने से पहले ही आप अपना बजट बता देंगे तो ज्यादा अच्छा होगा। यहां किसी भी मंदिर में जूते पहनकर जाने की अनुमति नहीं है। इसके अलावा, कपड़े पहनने में भी थोड़ी शालीनता बरतें।
 

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