OH! तो लाइफ में Friendship इसलिए है जरूरी
एक बार की बात है। एक राजा ने राजकुमार को एक ऋषि के आश्रम में शिक्षा के लिए भेजा। ऋषि ने आश्रम में राजकुमार के लिए प्रबंध किया और उसकी शिक्षा प्रारम्भ हो गई। एक दिन ऋषि ने राजकुमार से पूछा कि तुम क्या बनना चाहते हो। इस पर ही तुम्हारी आगे की शिक्षा का क्रम ठीक प्रकार से बनेगा। राजकुमार ने उत्तर दिया, ‘‘वीर योद्धा।’’
ऋषि ने समझाया कि ये दोनों शब्द एक जैसे हैं लेकिन इनमें अंतर बहुत है। योद्धा बनना है तो शस्त्र कला का अभ्यास करो और घुड़सवारी सीखो लेकिन यदि वीर बनने के साथ-साथ आगे बढ़ना हो तो विनम्र बनो और मित्रता का दायरा बढ़ाते हुए सबसे मित्रवत व्यवहार करो। राजकुमार को सभी से मित्रता करने और मित्रता का दायरा बढ़ाने की बात जंची नहीं और वह अपने महल वापस लौट आया। राजा ने जब उनसे वापस आने का कारण पूछा तो उनसे सारी बात बताते हुए कहा कि मैं सभी से मित्रता कैसे रख सकता हूं। राजा चुप हो गए लेकिन वह जानते थे कि ऋषि ने जो कहा वही सत्य है।
कुछ दिन बाद राजा, राजकुमार को लेकर घने जंगल में वन विहार को गए। वहां दिन ढल गया और अंधेरा घिर आया। अचानक राजा को ठोकर लगी और वह गिर पड़े। उनकी अंगुली से निकलकर हीरे की अंगूठी रेत में गुम हो गई। अंगूठी बेहद कीमती थी लेकिन अंधेरे के कारण इसे ढूंढना मुश्किल था। राजकुमार को उपाय सूझा और उसने अपनी पगड़ी में वहां की सारी रेत समेटकर पोटली में बांध ली। राजा ने पूछा कि अंगूठी के लिए इतना सारा रेत समेटने की क्या जरूरत है। इस पर राजकुमार ने कहा कि जब अंगूठी अलग से नहीं मिली तो यही उपाय रह जाता है कि उस जगह की सारी रेत समेट ली जाए और फिर उसमें से काम की चीज ढूंढ ली जाए।
राजा ने राजकुमार से कहा कि तो फिर ऋषि का कहना कैसे गलत हो गया कि सबसे मित्रता करो। मित्रता का दायरा बड़ा होने पर ही तो उसमें से हीरे को ढूंढना संभव होगा। राजकुमार को उसकी शंका का जवाब मिल चुका था। अगले ही दिन वह ऋषि के आश्रम में अपनी शिक्षा पूर्ण करने के लिए चला गया।