चीन की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल में….लगातार चौथे महीन पीएमआई में गिरावट
बीजिंग । दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश चीन को आर्थिक मोर्चे पर फिर झटका लगा है। जुलाई में देश में फैक्ट्री गतिविधियों में फिर गिरावट आई है। लगातार चौथे महीने चीन में फैक्ट्री कामकाज में गिरावट आई है। चीन की अर्थव्यवस्था सुस्ती से बाहर नहीं निकल पा रही हैं, और एक्सपोर्ट में भी भारी कमी आई है। चीन सरकार ने अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए नए उपायों की घोषणा की है। वहीं अमेरिका और कई पश्चिमी देशों ने चीन पर निर्भरता कम करने के लिए उपाय करने शुरू कर दिए हैं। इन देशों की कई कंपनियां भारत सहित दूसरे देशों में ठिकाना तलाश रही हैं। इस कारण देश में उत्पादन में कमी आई है। सोमवार को जारी आधिकारिक मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग इंडेक्स (पीएमआई) 49.3 रहा। अगर यह 50 से कम रहता है, तब इसके क्रॉन्ट्रैक्शन माना जाता है।
हालांकि जुलाई में पीएमआई जून के मुकाबले मामूली रूप से बेहतर रहा। जून में देश का पीएमआई 49.0 रहा था। हालांकि नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (एनबीएस) के झाओ किंगदे के मुताबिक पीएमआई में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। चीनी सरकार अपनी ग्रोथ को पटरी पर लाने के लिए संघर्ष कर रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह हैं कि देश में उपभोक्ता खर्च में भारी कमी आई है। देश में नॉन-मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई भी जुलाई में गिरकर 51.5 रह गई जो जून में 53.2 था। यह सर्विसेज और कंस्ट्रक्शन सेक्टर्स में बिजनस सेटिंमेट बताता है। इससे साफ है कि चीन में कैपिटल मार्केट सर्विसेज और रियल एस्टेट गतिविधियों में भी कमी आई है।
हाल में चीन को आर्थिक मोर्चे पर हर तरफ से निराशा ही हाथ लगी है। दूसरी तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था 6.3 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ी जबकि आर्थिक जानकार इसके 7.1 प्रतिशत रहने की उम्मीद कर रहे थे। खपत में सुस्ती, रियल एस्टेट सेक्टर में संकट और डिफ्लेशन की आशंका के कारण चीन की हालत खस्ता है। आर्थिक जानकार लैरी हू का कहना है कि चीन की स्थिति जापान की याद दिलाती है जहां कई साल तक स्टैगनेशन की स्थिति पैदा हो गई थी। चीन को लंबे समय से दुनिया का वर्कशॉप माना जाता है। देश काफी हद तक एक्सपोर्ट पर निर्भर है। लेकिन हाल में उसके एक्सपोर्ट में भारी कमी आई है। अमेरिका और यूरोप में मंदी का खतरा और महंगाई बढ़ने से दुनियाभर में चीन के सामान की डिमांड कम हो रही है।
इसके साथ ही डिमांड में कमी चीन की मैन्युफैक्चरर्स के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। देश को इससे बाहर निकालने के लिए सरकार ने नए उपायों की घोषणा की है। सोमवार को सरकार ने खपत बढ़ाने के लिए 20 सूत्री प्लान की घोषणा की।