गरुड़ पुराण से जानें, दान से कैसे संवरता है जीवन और मिलते हैं क्या फल
दान के संबंध में कहा जाता है कि इससे व्यक्ति के पाप कम होते हैं और पुण्य बढ़ते हैं। कोई भी धार्मिक अनुष्ठान दान के अभाव में अधूरा है। धर्म ने दान रूपी संस्था की स्थापना इसलिए की थी ताकि मनुष्य उदार बन जाए। दान देते समय इस बात का भी ख्याल रखना आवश्यक है कि जो पैसा दान में दिया जा रहा है, वह मेहनत और हलाल की कमाई का हो क्योंकि बिना मेहनत के अवैध रूप से पैसा कमाया गया होता है, वह धर्म की दृष्टि से दान योग्य नहीं होता। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की पीड़ा और कष्टकारक समय से मुक्ति पाने के लिये भी खास वस्तुओं का विशेष दिन दान किया जाता है। दान में जो भी वस्तुएं दी जाएं, वे हमेशा उत्तम श्रेणी की होनी चाहिए या कम से कम वैसी तो हों ही, जैसी आप खुद प्रयोग करते हों। गरुड़ पुराण से जानें, किस चीज के दान से किन फलों की प्राप्ति होती है।
शादी में अड़चने आ रही हों या मनभावन जीवनसाथी न मिल पा रहा हो तो चारपाई अथवा पलंग का दान करें।
जल दान करने से आत्मसंतुष्टि की प्राप्ति होती है।
अन्न दान से संसार का ऐसा कोई सुख नहीं है, जिसकी प्राप्ति न हो।
तिल दान से संतान संबधित हर सुख की प्राप्ति होती है।
दीपदान से आंखों का हर विकार दूर होता है।
भुमि दान से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
स्वर्ण दान करने से व्यक्ति की उम्र बढ़ती है।
जरूरतमंद व्यक्ति को घर का दान करने से दानकर्त्ता को बड़े घर की प्राप्ति होती है।
चांदी के दान से व्यक्ति की खूबसूरती में बढ़ौतरी होती है।
दवाईयों का दान करने से व्यक्ति को शारीरिक व्याधियों से निजात मिलती है।