जल संकट से निपटने के लिए नई योजना, धान छोड़ मक्का-अरहर उगाओ, हजारों की सब्सिडी पाओ

हरियाणा में लगातार गिरते भूजल स्तर को लेकर प्रदेश सरकार पूरी तरह से चिंतित है। सूबे के 21 क्षेत्र तो डार्कजोन एरिया में हैं, जबकि कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पानी का दोहन बहुत ज्यादा हो रहा है। यही हालात रहे तो ये क्षेत्र भी डार्क जोन एरिया में तब्दील हो जाएंगे।
हरियाणा सरकार ने किसान एवं कल्याण विभाग और सिंचाई विभाग के माध्यम से इस गिरते भूजल की वजह जाने का प्रयास किया तो विभागों की रिपोर्ट के बाद ये साफ हो गया है कि प्रदेश में लगातार बढ़ता धान का रकबा भूजल दोहन की सबसे बड़ी वजह है। इसके बाद सरकार ने अब इन विभागों के साथ मिलकर प्रदेश में पहली बार एक नई योजना तैयार की है। इसकी शुरुआत सरकार 21 में से 7 डार्क जोन एरिया से करेगी।

इस योजना के अंतर्गत सरकार 7 डार्क जोन एरिया में कुल धान के रकबे में से 50 हजार हेक्टेयर रकबे में मक्का व दलहन लगवाएगी। हालांकि इसके लिए किसानों को मजबूर नहीं किया जाएगा, बल्कि ऐसा करने वाले किसानों को सरकार चार से लेकर साढ़े चार हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन देगी, जो कि विभिन्न तरह से होगा। 

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मंगलवार को चुनाव आयोग की अनुमति के बाद एक प्रेसवार्ता के माध्यम से इस योजना की जानकारी दी और किसानों से आह्वान किया कि वे इस योजना का हिस्सा बनें। इससे न तो उनका मुनाफा कम होगा, बल्कि उनके प्रयासों से प्रदेश का जलस्तर जरूर बढ़ जाएगा। इस योजना में किसानों को गैर बासमती धान का मोह छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
ये है नई योजना के टारगेट
योजना के अंतर्गत पहले ब्लाक करनाल के असंध इलाके में 44500 हेक्टेयर धान के रकबे में से 12000 हेक्टेयर एरिया में मक्का व दलहन की खेती करवाने का टारगेट तय किया गया है। इसी तरह कैथल के पूंडरी में 40000 हेक्टयर धान एरिया में से 11000 हेक्टयर में, जींद के नरवाना में 34907 हेक्टेयर धान एरिया में से 7000 हेक्टेयर में, कुरुक्षेत्र के थानेसर में धान के 18200 हेक्टेयर में से 7000 हेक्टेयर में, अंबाला के अंबाला शहर में धान के 25212 हेक्टेयर में से 8000 हेक्टेयर, यमुनानगर के रादौर में धान के 14000 हेक्टेयर में से 2500 हेक्टेयर व सोनीपत के गन्नौर में धान के 18538 हेक्टेयर में से 2500 हेक्टेयर एरिया में किसानों को मक्का व दलहन की खेती करने का प्रोत्साहित किया जाएगा।

खेती बदली तो ये मिलेगा प्रोत्साहन
– धान के बजाए यदि किसान मक्का व दलहन की फसल लगाता है, तो सरकार उसे प्रति एकड़ 2000 रुपये देगी। 200 रुपये तभी उसके खाते में पहुंच जाएंगे, जब इसके लिए वे कृषि विभाग के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाएगा। फसल लगने के बाद वेरिफिकेशन होगी और शेष 1800 तुरंत उसके खाते में पहुंच जाएंगें। 27 मई से यह पोर्टल खोल दिया जाएगा।

– ऐसे किसानों को मक्का व दलहन की खेती के लिए हाई क्वालिटी, हाई इल्ड हाईब्रीड बीज जिसकी कीमत 1200 से 2000  रुपये प्रति एकड़ होगी मुफ्त उपलब्ध करवाएगी।

– इस फसल को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत लाने में किसान के खाते से कटने वाला करीब 766 रुपये का प्रीमियम भी राज्य सरकार देगी।

– खास बात यह कि इस फसल की सरकारी खरीद भी हरियाणा सरकार सुनिश्चित करवाएगी, जिससे किसानों का मुनाफा भी सुनिश्चित होगा।

यह योजना देश में अपनी तरह की एक अनूठी होगी जिसे हरियाणा देश में सबसे पहले लागू कर रहा है। इस योजना के तहत गैर-बासमती धान के क्षेत्र में मक्का फसल के विविधकरण होने से पानी की कुल बचत 0.71 करोड़ सेंटीमीटर यानी लगभग एक लाख लीटर होना अपेक्षित है। इससे पानी, बिजली की बचत और  मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होगा। किसानों को सरकार के साथ इस दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।

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