“अग्निकांड में मृत 5 दोस्तों की यादें आज भी मेरे हाथ पर जीवित हैं”
कभी-कभी मस्ती के दौरान कुछ ऐसा हो जाता है, जो जीवन में यादगार बन जाता है। कुछ ऐसा ही दर्शिता के साथ भी हुआ। दर्शिता का हाथ टूट गया था, वह क्लास में नहीं जा रही थी। एक दिन जब वह क्लास गई, तो उसकी सहेलियों ने उसके प्लास्टर पर अपने हस्ताक्षर कर दिए। उसके बाद हुए हादसे में उसकी 5 सखियाें ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। दर्शिता के हाथ में वे पांचों आज भी जीवित हैं।
क्या कहती है दर्शिता
”मेरा नाम दर्शिता भीकडिया है। मैं क्लासेस में ड्राइंग टीचर के रूप में कार्यरत हूं। कुछ दिनों पहले मैं अपनी मम्मी को मोपेड सिखा रही थी, तब हमारी गाड़ी स्लिप हो गई, इससे में दाएं हाथ में फ्रेक्चर हो गया था। इससे मैंने क्लासेस जाना बंद कर दिया। 19 मई को मैं क्लास गई, वहां मुझे मेरी सभी सहेलियां मिलीं। उस दिन हमने काफी मस्ती की। उसके बाद सभी ने यह तय किया कि वे मेरे प्लास्टर में कुछ लिख दें, हुआ भी वही, सभी ने मेरे प्लास्टर पर कुछ न कुछ लिख दिया। उसके बाद जो कुछ हुआ, वह दिल दहलाने वाला है। उस दिन के मेरे साथी मेरे हाथ में आज भी जीवित हैं।”
किनके-किनके हस्ताक्षर हैं प्लास्टर पर
मेरे हाथ के प्लास्टर में कृष्णा भीकड़िया, हेप्पी पांचाणी, रूमी बलर, कृति दयाल और निसर्ग कात्रोड़िया के ऑटोग्राफ हैं। जब ये प्लास्टर मेरे हाथ से हटाया जाएगा, तब मैं इसे संभालकर रखूंगी, मेरे लिए यह उनकी आखिरी निशानी है। उनकी यादों को संजाेए रखने का इससे अच्छा साधन और क्या हो सकता है?