17 नवंबर को अखंड सौभाग्य का रोहिणी व्रत, जानें पूजा विधि, धार्मिक महत्व
यह व्रत महिलाओं के लिए अधिक महत्वपूर्ण माना गया है. जैन परिवारों की महिलाओं के लिए तो इस व्रत का पालन करना अतिआवश्यक होता है, लेकिन पुरुष भी अपनी इच्छानुसार ये व्रत कर सकते हैं. इस दिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं और अपने पति की लम्बी आयु एवं स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं. जैन मान्यताओं के अनुसार इस दिन जो भी महिला या पुरुष पूरी श्रद्धा से इस व्रत का पालन करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. जैन धर्म में ह्रदय और आत्मा की स्वच्छता को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इसी तरह इस व्रत का पालन करने वाले स्त्री और पुरुष अपनी आत्मा के विकारों को दूर करते हैं और इस संसार की मोह माया से दूर रहते हैं.
रोहिणी व्रत पूजा विधि
रोहिणी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि से निवृत हो जाएं. अगर आप चाहें तो पानी में कुछ बूंद गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं. इसके बाद आचमन कर व्रत का संकल्प लें और सूर्यदेव को जल से अर्घ्य दें. फिर पूजा स्थल की अच्छे से साफ कर लें. इस दिन भगवान वासुपूज्य की पूजा की जाती है. भगवान वासुपूज्य की वेदी के साथ मूर्ति स्थापित करें. फिर पूजा के दौरान भगवान को फल, फूल, गंध, दूर्वा आदि अर्पित करें. पूजा के बाद शाम को सूर्यास्त से पहले पूजा-पाठ करने के बाद फलाहार करें. इस व्रत में रात्रि में भोजन नहीं किया जाता है, इसलिए अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर अपना व्रत खोलें.
रोहिणी व्रत के लाभ
जैन धर्म के अनुसार, रोहिणी व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है. इसके साथ ही व्यक्ति की धन से संबंधी सभी समस्याएं भी दूर होती हैं. जैन मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति रोहिणी व्रत को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करता है, तो उस व्यक्ति के सभी दुख-दर्द दूर हो सकते हैं. साथ ही उसे मोक्ष की भी प्राप्ति हो सकती है.
रोहिणी व्रत का संबंध रोहिणी नक्षत्र से माना गया है. जब सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र प्रबल होता है तभी यह व्रत किया जाता है. जैन धर्म में इस व्रत को विशेष महत्व दिया जाता है. इस माह में रोहिणी व्रत 17 नवंबर के दिन किया जाएगा. ऐसे में चलिए जानते हैं रोहिणी व्रत से जुड़ी कुछ जरूरी बातें और इसके कुछ जरूरी नियम.जैन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, रोहिणी व्रत करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही यह व्रत पति की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए भी किया जाता है. इस व्रत को पूरे विधि-विधान के साथ करने से व्यक्ति को धन की समस्या भी नहीं सताती. जैन धर्म में इस व्रत को मोक्ष की प्राप्ति का माध्यम भी माना गया है.
इस माह में रोहिणी व्रत 17 नवंबर को है. रोहिणी व्रत से जुड़ी कुछ खास बातेंः
1. रोहिणी व्रत, जैन धर्म के प्रमुख व्रत-त्योहारों में से एक है.
2. इस व्रत को करने से व्यक्ति को सभी तरह के दुख-दर्द से मुक्ति मिल सकती है.
3. इस व्रत को मुख्य रूप से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-शांति की कामना के साथ रखती हैं.
4. रोहिणी व्रत का संबंध रोहिणी नक्षत्र से माना गया है.
5. जब सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र प्रबल होता है, तभी यह व्रत किया जाता है.
6. इस व्रत को लगातार 3, 5 या फिर 7 सालों तक करने का विधान है.
7. इसके बाद रोहिणी व्रत का उद्यापन किया जाता है.