दिल्ली क्लासरूम घोटाले में मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पर जांच को राष्ट्रपति की मंजूरी

नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली सरकार के स्कूलों में क्लास रूम के निर्माण में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए पूर्व आम आदमी पार्टी के मंत्रियों मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ जांच की मंजूरी दे दी है. बीजेपी के कार्यकर्ताओं हरीश खुराना, कपिल मिश्रा और नीलकंठ बख्शी ने जुलाई 2019 में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें 12,748 कक्षाओं के निर्माण में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का आरोप लगाया गया था. क्या है ये पूरा मामला और इसमें क्या हो सकता है जानने के लिए पढ़ें पूरी रिपोर्ट…

आरोप क्या हैं?
आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार के समय, जब मनीष सिसोदिया (शिक्षा मंत्री) और सत्येंद्र जैन (PWD मंत्री) थे, तब 12,748 क्लासरूम बनाने का प्रोजेक्ट शुरू हुआ. आरोप है कि इन क्लासरूम को बहुत ज्यादा महंगे दामों पर बनाया गया. कहा जा रहा है कि एक क्लासरूम बनाने की लागत लगभग ₹24.86 लाख दिखाई गई, जबकि असल में ऐसा क्लासरूम ₹5 लाख में बन सकता था. 12 हजार से ज्यादा क्लासरूम बनाने में कुल मिलाकर, ₹2,892 करोड़ खर्च हुए, जबकि ये काम बहुत कम पैसों में हो सकता था. यह आरोप बीजेपी नेताओं — हर्ष खुराना, कपिल मिश्रा, नीलकंठ बख्शी ने 2019 में शिकायत के जरिए लगाए.

क्लासरूम निर्माण में 2000+ करोड़ का घोटाला बताकर केस दर्ज करने की तैयारी है. अगर ऐसा होता है तो एक बार दोबारा से मनीष सिसोदिया और सतेंद्र जैन की गिरफ्तारी हो सकती है. पर यह सबकुछ एफआईआर में कौन-कौन सी धाराएं जोड़ी गई हैं इस पर निर्भर करता है. अगर एजेंसी इस मामले में ऐसी धाराओं में केस दर्ज करता है जिसमें जमानत मिलना मुश्किल भरा होगा तो आम आदमी पार्टी के दोनों नेताओं को एक बार फिर से सलाखों के पीछे जाना पड़ सकता है.

अब तक क्या जांच हुई?
सबसे पहले, दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) ने इस पर जांच की. डायरेक्टर ऑफ विजेलेंस (DoV) ने ACB की रिपोर्ट की जांच की.

DoV ने कई गड़बड़ियां पाई:

  • . लागत में बार-बार बढ़ोतरी, जबकि अक्टूबर 2015 की फाइनेंस मीटिंग में साफ कहा गया था कि लागत नहीं बढ़ेगी.
  • . काम समय पर पूरा नहीं हुआ जो साल 2016 तक होना था.
  • . जनरल फाइनेंस रूल्स (GFR) और सेंट्रल विजलेंस कमिशन (CVC) के नियमों का उल्लंघन.
  • . बिना अनुमति खर्च में हेरफेर.
  • . ठेकेदारों को अनुचित लाभ

राष्ट्रपति की मंजूरी क्यों जरूरी थी?
क्योंकि मामला तत्कालीन मंत्रियों (सिसोदिया और जैन) से जुड़ा है, इसलिए जांच शुरू करने से पहले राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी थी. गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने यह फाइल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजी, जिन्होंने जांच के लिए हरी झंडी दे दी.

मनीष सिसोदिया का जवाब क्या है?
मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमें किसी भी जांच से डर नहीं, चाहे केंद्र सरकार कितने भी केस कर ले. हम झुकेंगे नहीं. उन्होंने कहा कि BJP राजनीति कर रही है और ये सब AAP नेताओं (अरविंद केजरीवाल, आतिशी आदि) के खिलाफ बदले की कार्रवाई है.

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