नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान मेडिकल बोर्ड की महिला जैसे शरीर वाली टिप्पणी बेहद निंदनीय: हाईकोर्ट
अर्द्ध सैनिक बल में नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान मेडिकल बोर्ड द्वारा एक युवक पर ‘महिला जैसे शरीर’ वाली टिप्पणी की पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कड़ी निंदा की है। हाईकोर्ट ने कहा कि जवान की ड्यूटी का मेडिकल बोर्ड की इस प्रकार की टिप्पणी से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है और याची अब ऑपरेशन करवाकर नॉर्मल हो गया है।
ऐसे में मेडिकल बोर्ड द्वारा की गई टिप्पणी निंदनीय है। जो बीमारी ठीक हो चुकी है, उसके आधार पर किसी को नौकरी से कैसे इनकार किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने कहा कि मेडिकल बोर्ड ने याची का केस अस्वीकार करते हुए उसे नौकरी न दिए जाने का कोई ठोस कारण नहीं बताया। इसलिए हाईकोर्ट ने याची को असम राइफल में सैनिक के तौर पर नौकरी देने के आदेश जारी कर दिए।
हिसार निवासी एक युवक ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करके बताया था कि 2015 में उसने अर्द्ध सैनिक बलों में भर्ती के लिए आवेदन किया था। इसके बाद जब उसका मेडिकल हुआ तो उसे बताया गया कि उसकी दोनों छाती में हार्मोन की संख्या अधिक है, ऐसे में वह सैनिक की ड्यूटी नहीं निभा सकता।
इसके बाद याची ने ऑपरेशन करवाया और वह सामान्य हो गया। उसने मेडिकल रिपोर्ट दे दी और फिर उसका केस रिव्यू मेडिकल बोर्ड को भेजा गया, जहां कहा गया कि उसकी शारीरिक संरचना महिलाओं की तरह है और वह सैनिक के तौर पर दी जाने वाली मुश्किल जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर पाएगा।