फिनटेक को लेकर 52% लोगों की चिंता, बैंक बने भरोसे की पहली पसंद

व्यापार: मौजूदा समय मे कर्ज लेने के तमाम विकल्पों के बावजूद लोगों का भरोसा बैंकों पर बना हुआ है। आरबीआई के सितंबर बुलेटिन में कहा गया है कि बैकिंग टेक्नोलॉजी पर 53.31 फीसदी लोग भरोसा करते हैं। कर्ज देने वाले वैकल्पिक साधनों पर 43.50 फीसदी लोग ही भरोसा करते हैं। इन साधनों से 40.69 फीसदी लोग खुश हैं। बैंकिंग टेक्नोलॉजी के लिए यह स्तर 42 फीसदी से अधिक है।

आरबीआई ने तीन सकारात्मक भावनाओं पर सर्वे किया है। इसमें विश्वास, बेहतर परिणामों की प्रत्याशा और खुशी शामिल हैं। चार नकारात्मक भावनाओं पर भी यह सर्वे है। इसमें घृणा, उदासी, भय और क्रोध को शामिल किया गया है। कर्ज देने वाले वैकल्पिक साधनों के प्रति 13.68 फीसदी लोगों में गुस्सा है। बैंकिंग टेक में यह बढ़कर 15.35 फीसदी के स्तर पर पहुंच जाता है। वैकल्पिक साधनों से 13.10 फीसदी और बैंकिंग टेक से 12.86 फीसदी लोग निराश रहते हैं। बैंकिंग टेक से जहां 10.86 फीसदी लोगों में धोखाधड़ी होने का डर बना रहता है, वहीं वैकल्पिक साधनों में यह बढ़कर 11 फीसदी के स्तर के पार पहुंच जाता है। 

फिनटेक को लेकर 52 फीसदी लोग चिंतित
रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रेडिट या कर्ज संबंधी चिंता फिनटेक कंपनियों को लेकर ज्यादा है। 52.02 फीसदी लोगों को फिनटेक से क्रेडिट या लोन संबंधित चिंता रहती है। बैंकिंग टेक्नोलॉजी में यह घटकर महज 4.66 फीसदी रह जाती है। सभी क्षेत्रों में पहचानी गई एक प्रमुख चिंता ग्राहक सहायता और सेवा (सीएसएस) है।

यह बैंकिंग तकनीक के ग्राहकों के लिए बड़ी चिंता है। 35.90% लोग मानते हैं कि बैंकों में तकनीक सपोर्ट और सेवा नहीं मिलती है। वैकल्पिक साधनों में यह स्तर 11.19 फीसदी ही रहता है।

फिनटेक कंपनियों से ग्राहकों को जल्द नहीं मिलता जवाब
फिनटेक ग्राहकों के अनुभव बताते हैं कि फिनटेक कंपनियों से उनको जल्दी जवाब नहीं मिलते हैं। ईमेल, कॉल या चैट प्रश्नों का विलंबित या कोई उत्तर नहीं मिलता है। महत्वपूर्ण या तत्काल मुद्दों या ग्राहक सेवा तक पहुंचने में कठिनाइयां होती हैं। इसके लिए कोई समाधान नहीं है। ग्राहक सहायता कर्मचारियों का असभ्य या गैर पेशेवर व्यवहार भी एक प्रमुख मुद्दा है। ऋण चुकौती या खाता संबंधी प्रश्नों का बहुत ही खराब अनुभव इन ग्राहकों को हुआ है।

एप को लेकर बड़ी चिंता
बार-बार एप क्रैश होना, फ्रीज होना और लोडिंग नहीं होना प्रमुख समस्याएं हैं। लॉग-इन और ईमेल में दिक्कत आती है। वनटाइम पासवर्ड (ओटीपी) सत्यापन संबंधी समस्याएं आती हैं। ग्राहकों को गड़बड़ियों के साथ एप का धीमा प्रदर्शन, सर्वर डाउन और अपडेट में देरी का भी सामना करना पड़ता है।

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