बिहार में पीके फैक्टर का असर, चुनाव में उतरी केजरीवाल की आम आदमी पार्टी, RJD से नहीं मिल रहा तालमेल
पटना । बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) की सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं। 6 और 11 नवंबर को होने वाले इस चुनाव में एनडीए (NDA), महागठबंधन के अलावा एक नया दावेदार उभर रहा है- प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) की जन सुराज पार्टी। लेकिन इस बीच आम आदमी पार्टी (AAP) का अचानक मैदान में उतरना राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली पार्टी ने तो अपने 11 उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी कर दी है। हालांकि राष्ट्रीय मुद्दों पर आम आदमी पार्टी (AAP) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बीच तालमेल देखने को मिला है, लेकिन इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पहली बार मैदान में उतरने का फैसला किया है।
यह निर्णय तब आया है जब विपक्षी महागठबंधन की कमान बिहार में RJD के हाथों में है और वह NDA को सत्ता से बेदखल करने की मुहिम चला रही है। राष्ट्रीय स्तर पर आप और आरजेडी एक सुर में बोलते रहे हैं। लेकिन आप ने बिना आरजेडी के साथ गठबंधन किए मैदान में उतरने का फैसला किया है। यहां तक कि संसद सत्रों के दौरान AAP सांसद संजय सिंह और RJD के राज्यसभा सांसद मनोज झा के बीच की निकटता भी राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय रही है।
‘प्रशांत किशोर फैक्टर’ से जुड़ा एंट्री का फैसला
सूत्रों के हवाले से लिखा है कि प्रशांत किशोर (PK) और उनकी पार्टी ‘जन सुराज’ का उभार आम आदमी पार्टी के बिहार चुनाव में उतरने का मुख्य कारण बना। बिहार AAP अध्यक्ष राकेश यादव ने भी स्वीकार किया कि जन सुराज ने उनके संगठन पर प्रभाव डाला था। उन्होंने कहा, “लगभग 50% AAP कार्यकर्ता जन सुराज से जुड़ गए थे क्योंकि हम चुनाव नहीं लड़ रहे थे। लेकिन अब जैसे ही हमने चुनाव लड़ने का ऐलान किया, उनमें से कई लोग वापस लौटने की तैयारी में हैं।” AAP के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) संदीप पाठक ने कुछ दिन पहले घोषणा की थी कि पार्टी 6 और 11 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों में हिस्सा लेगी, जिसके परिणाम 14 नवंबर को घोषित होंगे।
‘जन सुराज’ से मुकाबले का मूड
राकेश यादव ने बताया कि टिकट के लिए अब तक लगभग 6,000 आवेदन मिले हैं और स्क्रीनिंग प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा, “दूसरी और तीसरी सूची जल्द जारी की जाएगी, जिनमें 30-40 उम्मीदवारों के नाम होंगे।” उन्होंने जन सुराज और AAP के राजनीतिक मॉडल में फर्क बताते हुए कहा, “प्रशांत किशोर दावा करते हैं कि वे बिहार को वैकल्पिक राजनीति का मॉडल देंगे, लेकिन वे भी दागी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने की सोच रहे हैं। AAP ने जो दिल्ली और पंजाब में शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में कर दिखाया है, वही हमारा असली मॉडल है।”
आंतरिक असंतोष और संगठन की मजबूती
AAP के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी के बिहार संगठन में लंबे समय से यह मांग उठ रही थी कि राज्य में चुनाव लड़ा जाए। उन्होंने कहा, “हमने गोवा, गुजरात और हरियाणा में चुनाव लड़ा है, तो बिहार को अपवाद क्यों रखा जाए?” पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (PAC) को बिहार इकाई ने यह समझाने में सफलता हासिल की कि स्थानीय स्तर पर संगठन तैयार है। दिल्ली की शीर्ष नेतृत्व ने बिहार इकाई को यह भी कहा है कि चुनाव संसाधन वे खुद जुटाएं, क्योंकि राष्ट्रीय नेतृत्व इस बार सीमित भूमिका निभाएगा।
RJD से संबंधों पर सवाल
जब पूछा गया कि क्या बिहार में चुनाव लड़ने से RJD के साथ संबंधों पर असर पड़ेगा, तो पार्टी नेताओं ने अलग-अलग राय दी। AAP के वरिष्ठ नेता संजीव झा ने कहा, “हम हिमाचल प्रदेश में चुनाव लड़े, वहां कांग्रेस जीती। लेकिन हमारा उद्देश्य हर राज्य में अपनी वैकल्पिक राजनीति का मॉडल पेश करना है। बिहार में भी जनता इसे देखेगी।” उन्होंने कहा कि भले ही RJD और AAP ने बिहार चुनाव को लेकर कोई औपचारिक परामर्श नहीं किया हो, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर INDIA गठबंधन की एकता पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि AAP उन सीटों पर उतरेगी या नहीं, जहां कांग्रेस चुनाव लड़ रही है। हालांकि, पार्टी का दावा है कि उसका उद्देश्य बिहार की जनता को दिल्ली और पंजाब जैसी ‘शिक्षा और स्वास्थ्य’ आधारित राजनीति का विकल्प देना है।