वृंदावन जा रहे हैं? बांके बिहारी मंदिर की नई व्यवस्था और दर्शन समय जानना न भूलें
वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर भक्तों के लिए हमेशा से ही विशेष महत्व रखता है. यह मंदिर सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी बेहद प्रसिद्ध है. हर साल लाखों श्रद्धालु यहां भगवान श्रीकृष्ण के रूप में बांके बिहारी के दर्शन करने आते हैं. अब मंदिर प्रशासन ने दर्शन और आरती का समय बदल दिया है. इसका मतलब है कि भक्त अब पहले की तुलना में लंबे समय तक, करीब पौने तीन घंटे तक, ठाकुर जी के दर्शन कर सकते हैं. यह बदलाव मंदिर प्रबंधन और जिलाधिकारी मथुरा के आदेश के तहत किया गया है, ताकि भक्त आराम से दर्शन कर सकें और मंदिर में भीड़ को नियंत्रित किया जा सके, अगर आप आने वाले दिनों में बांके बिहारी मंदिर जाने का प्लान बना रहे हैं, तो पहले नए समय की जानकारी लेना आपके लिए बेहद जरूरी है. इस तरह आप मंदिर में शांति और भक्ति के साथ ठाकुर जी के दर्शन कर पाएंगे और अनुभव यादगार बन जाएगा.
1. बांके बिहारी मंदिर के दर्शन और आरती का नया समय
30 सितंबर 2025 से मंदिर में दर्शन और आरती का नया शेड्यूल लागू हो गया है. सुबह की प्रातःकालीन सेवा दर्शन सुबह 7 बजे शुरू होगा और श्रृंगार आरती 7:10 बजे होगी. दोपहर की राजभोग आरती 12:25 बजे है, इसके बाद दर्शन दोपहर 12:30 बजे तक खुलेंगे. शाम को मंदिर में सेवा दर्शन शाम 4:15 बजे से शुरू होगा और रात 9:25 बजे शयन आरती होगी. इसके बाद दर्शन रात 9:30 बजे बंद हो जाएंगे.
इस नई व्यवस्था का मकसद भक्तों को बेहतर अनुभव देना और मंदिर के भीतर भीड़ को नियमित करना है. भक्तों से विशेष अनुरोध किया गया है कि वे दर्शन के लिए आने से पहले समय को ध्यान में रखें ताकि किसी प्रकार की असुविधा न हो.
2. मंदिर पहुंचने का तरीका
बांके बिहारी मंदिर वृंदावन, मथुरा जिले में स्थित है. यदि आप बाहर से आ रहे हैं, तो सबसे पहले मथुरा रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड तक पहुंचें, जो मंदिर से लगभग 12 किलोमीटर दूर है. मथुरा से वृंदावन तक ऑटो, टैक्सी, कैब या स्थानीय बसों की सुविधा आसानी से उपलब्ध है. वृंदावन पहुंचने के बाद मंदिर तक पैदल, ई-रिक्शा या तांगे से पहुँचा जा सकता है. सबसे नजदीकी हवाई अड्डा आगरा या दिल्ली में है, इसलिए बाहर से आने वाले लोग हवाई मार्ग से भी आसानी से मंदिर पहुंच सकते हैं.
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3. मंदिर में जाने का सही समय
बांके बिहारी मंदिर का सबसे अच्छा समय विशेष रूप से त्योहारों और उत्सवों के दौरान होता है. होली और जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिर की रौनक देखने लायक होती है. इसके अलावा शरद और बसंत ऋतु में मौसम सुहावना रहता है, जिससे भक्त आराम से दर्शन कर सकते हैं. गर्मियों और मानसून में भीड़ और असुविधा अधिक हो सकती है, इसलिए इस समय में आने वाले भक्तों को तैयार रहना चाहिए. सुबह और शाम की आरती के समय दर्शन करना सबसे बेहतर माना जाता है.
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खास बातें ध्यान रखने योग्य
1. मंदिर में प्रवेश करते समय अनुशासन का पालन करना जरूरी है.
2. बड़े समूह में आने पर पहले से योजना बनाना बेहतर होता है.
3. दर्शन के दौरान मोबाइल और कैमरे का प्रयोग सीमित रखा जाता है.
4. मंदिर के आस-पास भोजन और पानी की सुविधा मौजूद है, लेकिन ज्यादा समय मंदिर परिसर में बिताने के लिए खुद तैयार रहें.