बोर्ड मीटिंग के दिन टाटा समूह में उठी सस्पेंस की लहर, सरकार और मिस्त्री भी करेंगे चर्चा
व्यापार: टाटा समूह में मचे घमासान के बीच चौंकाने वाली खबर है। चार ट्रस्टी तख्ता पलट की कोशिश में लगे हैं। नोएल टाटा से जुड़े सूत्रों का आरोप है कि मिस्त्री चौकड़ी ने उनके नेतृत्व को कमजोर करते हुए एक सुपर बोर्ड की तरह काम करने की कोशिश की है। हालांकि, मिस्त्री चौकड़ी के ट्रस्टी इन आरोपों का खंडन करते हैं और कहते हैं कि यह कहानी सरासर झूठी है। उन्हें खलनायक बनाने की कोशिश की गई है। इन चारों ने पिछले साल रतन टाटा के निधन के तुरंत बाद नोएल टाटा को चेयरमैन नियुक्त करने के पक्ष में मतदान किया था।
टाटा समूह देश का सबसे मूल्यवान व्यावसायिक घराना है। समूह दिवंगत रतन टाटा की विरासत को आगे बढ़ा रहा है। लेकिन इस बीच मचे घमासान और फिर मामला सरकार तक पहुंचने के बाद अब सभी की निगाहें 10 अक्तूबर पर हैं। इसी दिन टाटा ट्रस्ट्स की बोर्ड की बैठक है। यह बैठक विशेष रूप से परोपकारी गतिविधियों पर केंद्रित होगी। इसमें 1,000 करोड़ रुपये की अन्य प्रतिबद्धताएं भी शामिल हैं।
टकराव चार मुद्दों पर
टाटा इंटरनेशनल में इक्विटी निवेश: टाटा इंटरनेशनल ने कर्ज को कम करने के लिए टाटा संस से 1,000 करोड़ की मांग की थी। यह बढ़कर लगभग 2,000 करोड़ हो गया था। हालांकि निवेश को मंजूरी मिल गई। लेकिन मामला अनसुलझा है। यह वित्तीय रणनीति को लेकर
आंतरिक मतभेदों को उजागर करता है।
टाटा संस में उप प्रबंध निदेशक का प्रस्ताव: टाटा संस में उप-प्रबंध निदेशक (डीएमडी) का पद सृजित करने के नोएल टाटा के सुझाव का कुछ ट्रस्टियों ने विरोध किया। इससे दोनों खेमों के बीच की खाई और चौड़ी हो गई।
मेहली मिस्त्री की बोर्ड नियुक्ति: टाटा संस के बोर्ड में मिस्त्री को शामिल करना, जिसका नोएल टाटा ने विरोध किया था। यह एक और विवाद का विषय बनकर उभरा है। मेहली दिवंगत साइरस मिस्त्री के चचेरे भाई हैं।
विजय सिंह को हटाया जाना
पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह को टाटा संस के नामित निदेशक पद से हटाए जाने को लेकर भी तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने सिंह को हटाए जाने का विरोध किया। मिस्त्री चौकड़ी ने इसका समर्थन किया। इस घटना ने बोर्ड की नियुक्तियों और प्रशासन को लेकर ट्रस्टियों के बीच गहरे मतभेद को और मजबूत कर दिया है।
अनुचित प्रभाव डालना संभव या असंभव
सरकार और हितधारकों के सामने मुख्य प्रश्न यह है कि क्या कोई व्यक्ति टाटा संस पर अनुचित प्रभाव डाल सकता है, जबकि इसका रणनीतिक और आर्थिक महत्व है। यह इतना आसान नहीं है। क्योंकि इसमें स्वतंत्र निदेशकों के साथ कई सारे बड़े और प्रभावशाली लोग जुड़े हैं। नियामकों की निगरानी के साथ सरकार की भी नजर रहती है।