भारत ने रुस को किया चीनी मुद्रा युआन में पेमेंट……….क्या डॉलर के लिए खतरा
नई दिल्ली। भारत ने रूस से खरीदे गए कच्चे तेल के कुछ हिस्सों का भुगतान चीनी मुद्रा युआन में किया है, जबकि यह पहले मुख्य रूप से रूबल में होता था। यह घटनाक्रम भारत-चीन-रूस के त्रिकोणीय आर्थिक समीकरण को मजबूत करता है।
यह कदम डॉलर के वैश्विक प्रभुत्व को चुनौती देने और डॉलर निर्भरता को कम करने की दिशा में ब्रिक्स देशों के व्यापक एजेंडे का हिस्सा है। 2023 में तनाव के कारण सरकारी रिफाइनरियों ने युआन में भुगतान बंद कर दिया था, जिसे अब दोबारा शुरू करना दोनों देशों के रिश्तों में व्यावहारिकता की वापसी का संकेत माना जा रहा है।
ब्रिक्स देश (जो दुनिया की 40 प्रतिशत जीडीपी का प्रतिनिधित्व करते हैं) बिना कोई नई ब्रिक्स करेंसी बनाए ही स्थानीय मुद्राओं में व्यापार बढ़ाकर डॉलर से अलग रास्ता अपना रहे हैं। यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर लगे प्रतिबंधों और उस स्विप्ट से बाहर करने के बाद, ब्रिक्स देशों ने डॉलर को राजनैतिक हथियार के रूप में देखे जाने के कारण डी-डॉलरीकरण पर जोर दिया है। भारत का यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की डॉलर केंद्रित नीति को एक सीधी चुनौती और उनकी डॉलर डिप्लोमेसी को शांत किंतु ठोस जवाब माना जा रहा है। भारत का यह युआन भुगतान एक सीमित लेकिन भू-राजनीतिक रूप से गहरा प्रयोग है, जो आर्थिक हितों को साधते हुए ब्रिक्स देशों की आर्थिक स्वायत्तता की शुरुआत का प्रतीक है।