पराली मामले में मध्य प्रदेश और पंजाब के किसानों ने चौंकाया, 1 साल में बदले आंकड़े

भोपाल: गेहूं की बुआई के पहले खेतों को साफ करने फिर पराली जलाई जा रही है. हालांकि पराली जलाने के मामले में इस बार आंकड़े बदले हुए हैं. मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली में किसानों द्वारा पराली जलाने के मामले पिछले सालों के मुकाबले कम हुए हैं. मध्य प्रदेश और पंजाब में इस बार पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने के 40 से 50 फीसदी तक मामले कम हुए हैं.

जबकि पिछले एक माह के दौरान यानी 15 सितंबर से 15 अक्टूबर के दौरान पंजाब से ज्यादा उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के मामले रिकॉर्ड किए गए हैं. इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट नई दिल्ली की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देश के 6 राज्यों में पिछले एक माह में पराली जलाने के 2403 के मामले चिन्हित किए गए हैं.

मध्य प्रदेश में 48 फीसदी घटे मामले

मध्य प्रदेश में पराली जलाने के मामलों में करीबन 48 फीसदी की कमी आई है. साल 2024 में 15 सितंबर से 25 अक्टूबर के बीच पराली जलाने के कुल 869 मामले सामने आए थे, जबकि इस साल पिछले एक माह के दौरान कुल 460 मामले ही पराली जलाने के सामने आए हैं. प्रदेश में सबसे ज्यादा पराली जलाने के 76 मामले शिवपुरी जिले में सामने आए हैं. इसी तरह भोपाल से सटे विदिशा, सीहोर जिले में 46 और 41 मामले सामने आ रहे हैं. जो पिछले 5 सालों में सबसे ज्यादा मामले हैं.

इसी तरह सागर में भी 38 मामले सामने आ चुके हैं, जो अब तक के सबसे ज्यादा है. वहीं अशोकनगर, दतिया, गुना, मुरैना, भिंड,श्योपुर, में पराली जलाने के मामले कम हुए हैं.

पंजाब से ज्यादा उत्तर प्रदेश में जल रही पराली

पराली जलाने के मामले में पंजाब और मध्य प्रदेश टॉप पर रहे हैं. धान और सोयाबीन की फसल के बाद किसान खेत को जल्द से जल्द खाली करने के लिए खेतों में आग लगा देते हैं, लेकिन इस बार पराली जलाने के मामले में उत्तर प्रदेश ने दोनों ही राज्यों को पीछे छोड़ दिया है. 25 अक्टूबर को देश में पराली जलाने के 242 मामले सामने आए थे. इनमें पंजाब में 60, हरियाणा में 2, यूपी में 49, राजस्थान में 115 और मध्य प्रदेश में 15 मामले सामने आए हैं. जबकि 15 सितंबर से 25 अक्टूबर 2025 यानी एक माह के दौरान कुल 2403 मामले सामने आए.

बारिश की वजह से कम हुए मामले

कृषि विशेषज्ञ जेएस राजपूत कहते हैं कि "बारिश के मौसम में इस बार हुई भारी बारिश से कई स्थानों पर किसानों को फसल की बुआई का समय ही नहीं मिल पाया. पंजाब में हुई बारिश से फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है. यही वजह है कि इस बार पराली जलाने के मामले भी अपेक्षाकृत कम हुए हैं, क्योंकि कई इलाकों में खेत पहले से ही खाली है. प्रदेश के बुंदेलखंड, अशोकनगर, रतलाम आदि क्षेत्रों में फसल ही नहीं हुई.

वहीं राज्य शासन द्वारा भी लगातार सख्ती की जा रही है. इस वजह से भी किसान अब नरवाई जलाने के स्थान पर दूसरे उपायों को अपना रहा है. किसानों को समझना चाहिए कि पराली जलाने से नुकसान खेत का ही होता है.

 

 

    राज्य शासन द्वारा की जा रही कार्रवाई

    उधर प्रदेश में पराली को जलाने से रोकने प्रशासन को सख्ती से पेश आने के निर्देश दिए गए हैं. पिछले दिनों मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन ने सभी कलेक्टरों को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. उधर जिला कलेक्टरों द्वारा ऐसे किसानों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. सागर जिले में पराली जलाने वाले 3 किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.

    सागर के नयानगर निवासी राकेश कुमार जैन ने अपनी 2 हेक्टेयर जमीन पर बचे मक्के के अवशेष को आग लगाई थी. इस मामले में संबंधित थाने में किसान के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया गया. किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल के मुताबिक किसानों को लगातार समझाइश दी जा रही है कि पराली न जलाएं. इसके लिए उन्हें दूसरे विकल्प भी अपनाने का सुझाव दिया जा रहा है. इस साल पराली जलाने के मामले कम हुए हैं.

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