जयपुर अस्पताल ने बिल के लिए शव रोका, मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने अपनी ही सरकार पर उठाए सवाल

जयपुर के एक निजी अस्पताल में रविवार को पैसे नहीं जमा कराने पर शव रोकने पर करीब 4 घंटे जमकर विवाद हुआ. खबरों के मुताबिक 13 अक्टूबर को सड़क हादसे में घायल विक्रम मीणा की इलाज के दौरान मौत हो गई थी. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने मौत के बाद भी उनसे लाखों रुपये जमा करने के लिए दबाव बनाया. परिवार का दावा है कि ‘मां योजना’ के तहत इलाज की सुविधा होने के बावजूद, पैसे जमा कराए गए.

परिवार का कहना है की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन ने 8.38 लाख रुपए का बिल थमा दिया. परिवार ने 6.39 लाख रुपए जमा करवाएं, लेकिन बाकी की रकम नहीं देने पर अस्पताल प्रशासन ने शव देने से इंकार कर दिया. कहा गया कि बिना पैसे शव नहीं दिया जाएगा. जिसके बाद परिवार और अस्पताल प्रशासन के बीच घंटों गहमागहमी होती रही. कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के अस्पताल पहुंचने पर मामला शांत हुआ.

मंत्री के दबाव के बाद दिया शव
मामला बिगड़ने के बाद कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा अस्पताल पहुंचे और मामला शांत कराया. मंत्री के दबाव के बाद अस्पताल ने परिवार को शव दिया. किरोड़ी ने कहा कि मां योजना में 25 लाख रुपए और केंद्र की आयुष्मान योजना में पांच लाख रुपए के इलाज का प्रावधान है. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि आमजन को सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं मिल रहा है. मंत्री के दबाव बनाने के बाद अस्पताल ने परिजनों द्वारा जमा किए गए 5.75 लाख भी उन्हें लौटा दिए हैं.

इस मामले के बाद निजी अस्पताल द्वारा जनता पर पैसे के लिए दबाव बनाने और सरकारी योजनाओं को दरकिनार कर अपने बिल बनाने को लेकर बहस छेड़ दी है. भारत सरकार आयुष्मान जैसी महत्वाकांक्षी योजना चला रही है, जिसकी मदद से लोग प्राइवेट अस्पताल में भी इलाज कर सकते हैं, लेकिन कई प्राइवेट अस्पतालों के मरीजों को लाभ नहीं दे रहे हैं.

किरोड़ी लाल मीणा ने सरकार की योजना पर ही उठाए सवाल
किरोड़ी ने कहा कि हॉस्पिटल सरकारी योजनाओं में रजिस्टर्ड होने के बावजूद मरीज को फायदा नहीं पहुंचा रहे हैं. मैं स्वीकार करता हूं कि हमारी सरकार की कमजोर मॉनिटरिंग है. इस बारे में मुख्यमंत्री से बात करूंगा. इसके अलावा उन्होंने मुख्य सचिव को अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा है.

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