आईएसआई का टारगेट पंजाब, NIA के खुलासे ने उड़ाया होश, पढ़ें खालिस्तान कनेक्शन

नशा तस्करी से निपटने के लिए पंजाब ने उत्तर भारत के आठ राज्यों के साथ मिलकर रणनीति तो बना ली लेकिन एनआईए के नए खुलासे में राज्य सरकार की चिंता और बढ़ा दी है। एनआईए ने खुलासा किया है कि पाकिस्तान में छिपे खालिस्तान समर्थकों को अब आईएसआई ने नशे के कारोबार से जोड़ना शुरू कर दिया है ताकि पंजाब में नशे का प्रसार और तेजी से किया जा सके।एनआईए के खुफिया सूत्रों के मुताबिक खालिस्तान समर्थक पाकिस्तान से नशे की विभिन्न खेप पंजाब में पहुंचाने के लिए भारत-पाक बॉर्डर के अलावा अन्य देशों का भी इस्तेमाल करने लगे हैं। यह बात उस समय सामने आई जब नशे की खेप लेकर जा रहे पाकिस्तानी जहाजों को मालदीव और श्रीलंका के कोस्ट गार्डों ने पकड़ा। 

यह खेप भारत पहुंचाई जानी थी। इन जहाजों में पाकिस्तान से जिन सिखों ने नशे के खेप भेजी थी, वह 1994 में भारत से भागकर पाकिस्तान में छिपने वाले खालिस्तान समर्थक ही निकले। एनआईए के मुताबिक आतंकी संगठन खालिस्तान कमांडो फोर्स का प्रमुख परमजीत सिंह पंजवड़ जोकि पाकिस्तान के लाहौर में ही छिपा है, नशे के इस पूरे नैक्सस से जुड़ चुका है।

 

एनआईए की इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए बीते सप्ताह पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता ने राज्य पुलिस के सभी आला अधिकारियों को साफ कर दिया है कि उनके लिए मुख्य चुनौती आतंकवाद और नशा कारोबार हैं। इसके खिलाफ जबरदस्त मुहिम की जरूरत है। पंजाब में पहुंच रहे नशे की बड़ी खेप पहुंचने का मुख्य मार्ग पाक बॉर्डर ही रहा है। हाल के दिनों में दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के रास्ते नशे की आमद ने चिंता बढ़ा दी है। 

तीन माह में पकड़ी गई तीन बड़ी खेप 
21 मई को भारतीय कोस्ट गार्ड ने कच्छ इलाके में कराची की एक नौका अल-मदीना को पकड़ा जिस पर 218 किलो हेरोइन लदी थी। इसी समय मालदीव पुलिस ने एक ईरानी नौका को कब्जे में लिया जिस पर ड्रग्स लदे थे। यह ड्रग्स पाकिस्तानी नागरिक लेकर आ रहे थे। 10 जुलाई को श्रीलंका कोस्ट गार्ड ने एक पाकिस्तानी नौका से 50 किलो हेरोइन बरामद की। 

पंजाब में ऑपरेशन क्लीन  
बीते सप्ताह आठ राज्यों के पुलिस अधिकारियों और मुख्यमंत्रियों की अलग-अलग बैठकों में यह फैसला लिया गया कि सभी राज्य अपने-अपने इलाकों के रास्ते तस्करी रोकने के लिए परस्पर तालमेल करेंगे। बदनाम इलाकों में ऑपरेशन क्लीन पंजाब को नशामुक्त करने के लिए राज्य पुलिस ने पूरे सूबे में ऑपरेशन क्लीन शुरू किया है। 

इस अभियान के तहत बीते एक सप्ताह के दौरान फिरोजपुर, मानसा, फरीदकोट, गुरदासपुर और अमृतसर में नशे के कारोबार के लिए बदनाम इलाकों की अचानक घेराबंदी कर तलाशी ली गई। इस दौरान कोई बड़ा नशा तस्कर पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा। 

नशे के बड़े कारोबारियों के कुछ गुर्गे और नशेड़ी ही पुलिस के हाथ लगे हैं। हालांकि पुलिस का कहना है कि इस अभियान से तस्करों में दहशत पैदा होने लगी है और वे नशे के लिए बदनाम इलाकों से अब दूर होने लगे हैं। इस अभियान के दौरान जो नशेड़ी पकड़े गए हैं, उन्हें करीबी नशा मुक्ति केंद्रों में दाखिल कराया गया है।

राज्य पुलिस में हैं काली भेड़ें

नशे के खिलाफ गठित एसआईटी द्वारा पंजाब में नशा तस्करों की तलाश के दौरान सबसे पहले तस्करों के हिमायती ही उजागर हुए, जो राज्य पुलिस में ही कार्यरत पाए गए। हाल ही में एसआईटी के संकेत पर राज्य पुलिस ने अंदरूनी जांच शुरू की, जिसमें 75 छोटे-बड़े कर्मचारी-अधिकारियों का रिकॉर्ड संदिग्धों की सूची में शामिल किया गया। 

दरअसल यह जांच उस आधार पर भी की गई जिसमें यह बात सामने आई थी कि पुलिस द्वारा पकड़े जाने वाले नशा तस्कर अदालतों में कमजोर पैरवी के चलते सजा से बच जाते हैं। राज्य पुलिस ने इसके आंकड़े तैयार किए तो सामने आया कि सात पुलिस जिलों में वर्ष 2013-17 के दौरान नशे की खरीद-फरोख्त के मामलों में 5099 अपराधियों को विभिन्न अदालतों ने दोषी करार दिया लेकिन 756 बरी हो गए। 

बरी हुए व्यक्तियों में से 532 (70 फीसदी) अपराधी इस आधार पर बरी हो गए क्योंकि गवाहों के बयान में भारी अंतर पाया गया। खास बात यह रही कि जिन गवाहों के बयान में अंतर पाया गया उनमें ज्यादातर वे पुलिस अधिकारी और कर्मचारी थे जिन्होंने पुलिस रिकॉर्ड में संबंधित अपराधी को रंगे हाथों गिरफ्तार किया था।

वहीं पुलिस विभाग ने इस तरह बयान बदलने वाले अपने अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई भी नहीं की। यह सारा खुलासा कंट्रोलर ऑफ आडिट जनरल (कैग) द्वारा जारी की गई वर्ष 2016-17 की रिपोर्ट में भी हुआ।

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