संपत्ति पर कानूनी अधिकार को लेकर SC ने दिया बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि संपत्ति की देखभाल करने वाला केयरटेकर या नौकर का संपत्ति में कोई अधिकार सृजित नहीं हो सकता चाहे वह उसमें लंबे समय से ही क्यों न बना हो। जस्टिस दीपक मिश्रा और पीसी घोष की पीठ ने यह आदेश देते हुए नौकर को मकान से बेदखल करने का फैसला दे दिया।
कोर्ट ने कहा कि यदि किसी को संपत्ति में बिना कुछ लिए रहने का अनुमति दी गई चाहे दशकों की अवधि ही क्यों न हो उसका संपत्ति में कोई अधिकार सृजित नहीं होगा। केयरटेकर, नौकर, चौकीदार लंबे समय तक रहने के आधार पर संपति में कोई अधिकर नहीं जता सकते। नौकर या केयरटेकर को मांगने पर संपत्ति मालिक को सौंपनी ही पड़ेगी। कोर्ट का संरक्षण उसे तभी मिल सकता है जब उसके पास उसके पक्ष में वैध किराया, लीज या लाइसेंस एग्रीमेंट हो।
केयर टेकर या नौकर संपत्ति का कब्जा मालिक की अनुमति के आधार पर रखता है। इसमें उसका कोई अधिकार नहीं बनता चाहे वह कितने लंबे समय से उसमें क्यों न रह रहा हो।
सर्वोच्च अदालत ने कोर्ट ने यह फैसला बंबई के एक मामले में दिया जिसमें मालिकों ने एक परिवार को संपत्ति बिना कुछ पैसा लिए आपसी प्रेम के कारण रहने के लिए दे दी थी। लेकिन जब मालिकों ने 16 वर्ष बाद संपत्ति की मांग की तो उसे खाली करने से मना कर दिया।
इसके खिलाफ परिवार पहले निचली अदालत में गया जहां से उसे राहत नहीं मिली। इसके बाद मामला हाईकोर्ट में गया और हाईकोर्ट ने कहा कि बिना कानूनी प्रक्रिया का इसतेमाल किए परिवार को संपत्ति से बेदखल नहीं किया जा सकता। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को रद्द कर दिया और ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा।