कनाडा में पढ़ाई करने का असली सच- स्टडी सिर्फ नाम की, फीस निकालने को विद्यार्थी कर रहे नौकरी

कनाडा में हर साल औसतन एक लाख विद्यार्थी स्टडी के लिए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि फीस निकालने के लिए वहां विद्यार्थी नौकरी करते हैं। महज 2-3 फीसदी स्टूडेंट ही क्वालिटी एजुकेशन के लिए कनाडा की यूनिवर्सिटी में दाखिला लेते हैं। विद्यार्थियों का मकसद कनाडा की परमानेंट रेजिडेंसी(पीआर) लेना है। हालात यह हैं कि कनाडा में स्टडी के लिए जाने वाले विद्यार्थी कई-कई साल पिज्जा डिलीवरी से लेकर कॉफी शॉप पर काम कर अपने अगले सेमेस्टर की फीस निकालने को मजबूर होते हैं।
पंजाब से 12 आर्ट्स और कॉमर्स के साथ करने वाले विद्यार्थियों का ज्यादा बुरा हाल होता है। यहां से उनका दाखिला कनाडा के कॉलेजों में ऑफिस मैनेजमेंट, जनरल बिजनेस, इंटरनेशनल बिजनेस मैनेजमेंट जैसे कोर्स करवाकर कनाडा भेज दिया जाता है। इस विषय की डिग्री या डिप्लोमा करने वालों के लिए वहां पर नौकरी न के बराबर है।

ऐसे में विद्यार्थी किसी पिज्जा शॉप से लेकर मजदूरी करने को मजबूर हो जाते हैं। अगर एक लाख स्टूडेंट भारत से जाते हैं तो ऐसे विद्यार्थियों की संख्या 60 फीसदी के आसपास है। स्टूडेंट अगर मजदूरी कर फीस निकालकर अपना डिप्लोमा पूरा भी कर लेता है तो उसके बाद भी नौकरी नहीं है, ऐसे में विद्यार्थी पीआर लेने के लिए मेहनत मजदूरी और होटलों में वेटर तक की नौकरी कई साल करते हैं।

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