विस चुनावः हरियाणा में ‘ताज’ जीतने के लिए तेज हुआ आखिरी दौर का ‘आक्रमण’, स्टार वॉर भी बढ़ी
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर हरियाणा के रण में ‘ताज’ के लिए आखिरी दौर का ‘आक्रमण’ और तेज हो गया है। चुनावी समर में उतरे विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने अपने प्रतिद्वंदियों पर जुबानी हमले तेज कर दिए हैं। सत्ता के लिए विरोधियों को शिकस्त देने में जुटे यह प्रत्याशी पूरा दम लगा रहे हैं। इतना ही नहीं आखिरी दौर में पार्टियों की स्टार वॉर भी बढ़ गई है।
इसके जरिए सभी राजनीतिक दल चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए पूरी जोर आजमाइश में लगे हुए हैं। मंचों से लेकर सोशल मीडिया तक प्रत्याशी विरोधियों की नाकामियों का खुलकर बखान कर रहे हैं। पिछले दो दशक के सियासी सफर को देखें तो वर्ष 2014 से लेकर अब तक हरियाणा में सत्ता भाजपा के हाथ रही।
मुख्यमंत्री का ताज मनोहर लाल के सिर सजा। वर्ष 2005 से 2014 तक सत्ता पर कांग्रेस काबिज रही और ताज भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सिर सजा। सन 1999 से 2005 तक सत्ता इंडियन नेशनल लोकदल के पास थी और ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री रहे। अब वर्ष 2019 के चुनावी दंगल में सत्ता और ताज के लिए भाजपा, कांग्रेस, जजपा और इनेलो चारों राजनीतिक दल मुख्य रूप से मुकाबले में बने हुए हैं।
जबकि अन्य सियासी दल भी चुनाव रण में उतरकर विरोधियों को टक्कर देने की कोशिश में जुटे हैं। अब देखना यह है कि इस सियासी समर में कौन सा दल जंग फतेह कर सत्ता पर अपना कब्जा करता है और किसके सिर मुख्यमंत्री का ताज सजता है।
मोदी, शाह लगा रहे जोर, राहुल ने भी संभाला मोर्चा
चुनाव का यह आखिरी दौर इस कदर दिलचस्प बन चुका है कि करीब दो दर्जन से अधिक सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। भाजपा की ओर से जहां पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह समेत चालीस स्टार प्रचारकों ने मोर्चा संभाला हुआ है, वहीं कांग्रेस की ओर से मुख्य स्टार प्रचारक राहुल गांधी समेत कई वरिष्ठ कांग्रेसी अपने प्रत्याशियों के प्रचार के लिए मैदान में है। दोनों पार्टियों के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं व नेताओं ने भी पिछले कई दिनों से हरियाणा में ही डेरा डाला हुआ है। विभिन्न मंचों के माध्यम से ये नेतागण अपने जुबानी हमलों से चुनावी माहौल का रूख बदलने की कोशिशों में लगे हुए हैं।
रण में मुकाबला इतना रोचक हो चुका है कि भाजपा को अपने मुख्य स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित चार रैलियों का शेड्यूल बढ़ाकर सात रैलियों का करना पड़ा। चार रैलियां तो सिर्फदो दिन में रखी गई। शनिवार शाम को चुनाव प्रचार थमने तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरियाणा में ही रहेंगे। इतना ही नहीं रैलियों की रणनीति भी इस कदर तय की गई है कि मोदी प्रचार के दौरान हरियाणा के हर कोने के हर क्षेत्र को कवर कर सकें। जहां भाजपा का प्रभाव है, वहां से लेकर विरोधियों के गढ़ तक मोदी हुंकार भर सकें, इसके लिए पूरी तरह कूटनीतिक ढंग से प्रचार की रणनीति तैयार की गई।
मोदी के साथ-साथ शाह व अन्य केंद्रीय नेताओं ने भी हरियाणा के विभिन्न हिस्सों में रैलियां, जनसभाएं व रोड शो कर चुनावी माहौल में तड़का लगाने का काम किया। उधर, कांग्रेस के मुख्य स्टार प्रचारक राहुल गांधी भी प्रदेश में दो चुनावी रैलियां (नूहं व महेंद्रगढ़) हरियाणा में कर चुके हैं। राहुल ने भी निशाना साधते हुए भाजपा पर भाईचारा बिगाड़ने और सांप्रदायिकता बढ़ाने का आरोप जड़ा। उन्होंने खराब आर्थिक स्थिति व बेरोजगारी के मुद्दे पर भी भाजपा को निशाने पर लिया और प्रदेश में एक बार फिर सत्ता कांग्रेस को सौंपने की अपील की।
सत्ता के लिए इन दलों ने भी झोंकी ताकत
चुनावी जंग में भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ कुछ सीटों पर जननायक जनता पार्टी ने भी मुकाबला त्रिकोणीय बनाया है। इसी तरह कुछेक सीटों पर इनेलो-शिअद गठबंधन भी टक्कर दे रहा है। जबकि आम आदमी पार्टी, लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, स्वराज इंडिया पार्टी, लोक स्वराज पार्टी का ‘36 बिरादरी गठबंधन’ इत्यादि अन्य छोटे दल भी सत्ता के लिए चुनावी के आखिरी दौर में अपनी ताकत झौंक रहे हैं। हालांकि इन दलों के मुखिया ही चुनावी प्रचार में अपने पार्टियों के लिए स्टार प्रचारक है। इन दलों के नेताओं का भी दावा है कि उनके कुछ प्रत्याशी चुनावी रण में खूब मेहनत कर रहे हैं और परिणाम उनके लिए भी सुखद रहेंगे।