जांच में फेल हुईं 30 फीसदी आकाश मिसाइल
नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में निर्मित आकाश मिसाइलों में से कम से कम 30 फीसदी शुरुआती जांच में ही फेल हो गईं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि युद्ध जैसी किसी भी स्थिति में आकाश मिसाइल का इस्तेमाल भरोसेमंद नहीं है और इसी कारण इन्हें पूर्वी सीमा पर तैनात नहीं किया गया.
ये जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल है. इन्हें भारत के लिए रणनीतिक रूप से अहम सिलिगुड़ी कॉरिडोर सहित चीन सीमा से लगे छह महत्वपूर्ण बेस पर तैनात किया जाना था. गुरुवार को संसद में रखी गई रिपोर्ट में कहा गया कि आकाश मिसाइल साल 2013 से 2015 के बीच इन जगहों पर लगाई जानी थीं लेकिन किसी को भी नहीं लगाया गया.
आकाश मिसाइलों को 3900 करोड़ रुपए की कुल लागत से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा बनाया गया है. वायुसेना द्वारा इनके लिए 3800 करोड़ रुपए का भुगतान भी कर दिया गया है. कैग ने लिखा है कि यह बड़ी बात है कि सेम्पल टेस्ट में 30 फिसदी तक मिसाइल का फेल होना इसकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है जबकि इसके लिए 95 फीसदी भुगतान भी हो चुका है.
डोकलाम में भारत और चीन के बीच जिस जगह पर गतिरोध बना हुआ है वो सिलीगुड़ी कॉरिडोर से कुछ ही किमी. की दूरी पर है. इसी के महत्व को देखते हुए यूपीए सरकार ने साल 2010 में सिलीगुड़ी कॉरिडोर में आकाश मिसाइल की तैनानी के लिए मंजूरी दी थी.
कैग के मुताबिक स्टोरेज की सुविधा न होने से 70 मिसाइलों का कम से कम तीन साल का जीवनकाल बेकार हो गया. इसी कारण 150 अन्य मिसाइल का जीवनकाल दो से तीन साल और 40 का जीवन काल एक या दो साल कम हो चुका है. बता दें कि आकाश मिसाइल का जीवन काल उनकी निर्माण तिथि से 10 साल तक होता है और उन्हें कुछ नियंत्रित दिशाओं में संग्रह करने की जरूरत होती है.