परमाणु हमले का दंश झेल रहे हिरोशिमा ने की अपील, ऐसे हमले फिर न दोहराए जाएं

दुनिया के पहले परमाणु हमले की बरसी का दंश झेल रहे हिरोशिमा ने 'ऐसे हमलों को फिर कभी नहीं दोहराये जाने' की अपील ने जोर पकड़ा है क्योंकि उत्तर कोरिया इस दिशा में एक कदम और करीब पहुंच चुका है और लगातार मिसाइल परीक्षणों में इजाफे विश्व चिंता बढ़ा दी है.

अमेरिका ने जब छह अगस्त 1945 को हिरोशिमा पर बम गिराया था, तब महज एक साल के तोशिकी फुजीमोरी अपनी मां की गोद में थे. इस बम हमले के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसमें उनकी जान चली गई थी.  फुजीमोरी ने कहा, 'उत्तर कोरिया जिस तरह से परमाणु परीक्षण और इसके विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है, उसे देखते हुए जाहिर तौर पर तनाव बढ़ रहा है.' अमेरिका को अपनी जद में लेने में सक्षम नयी क्षमता वाले मिसाइलों के परीक्षण पर कई जापानी एवं क्षेत्र में अन्य लोगों ने स्पष्ट तौर पर उत्तर कोरिया के खिलाफ निराशा प्रकट की है.

लेकिन इसके खतरे ने हिरोशिमा ने गहरी चिंता प्रकट की है, क्योंकि पहले परमाणु हमले में 1,40,000 लोगों की मौत हुई थी और इसके बाद नौ अगस्त 1945 को नागासाकी पर हुए एक और हमले में 70,000 से अधिक लोग मारे गये थे.

हिरोशिमा के महापौर काजूमी मात्सूई ने रविवार को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान अपने शांति संबोधन में कहा, 'यह नारकीयता महज अतीत की बात नहीं है. जब तक परमाणु हथियार अस्तित्व में रहेंगे और नीति निर्माता इसके इस्तेमाल की धमकी देते रहेंगे, तब तक इसका भय किसी भी क्षण हमारे वर्तमान में समा सकता है. आप खुद को उनकी क्रूरता से जूझते हुए पा सकते हैं.'

उन्होंने आगे कहा कि आज का एक बम 72 साल पहले हुए बम हमले से बड़ी क्षति पहुंचा सकता है. मानव जाति को ऐसा कृत्य फिर कभी नहीं दोहराना चाहिए. जापान सहित परमाणु सम्पन्न देशों से उन्होंने जुलाई में संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वीकृत परमाणु हथियार रोकथाम प्रतिबंध में शामिल होने का अनुरोध किया है.

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