योगी सरकार के लिए कैसे राजनीतिक चुनौती बन सकता है हाथरस रेप कांड?
नई दिल्ली , हाथरस की निर्भया जिस तरह से हैवानों की दरिंदगी का शिकार हुई है, उसे लेकर पूरे देश के लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है, जो योगी सरकार के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. हाथरस की निर्भया 15 दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ती रही और आखिरकार मंगलवार को दिल्ली में दम तोड़ दिया और पुलिस ने रातोरात अंतिम संस्कार भी कर दिया. इस मामले को लेकर विपक्षी दल और दलित नेताओं ने सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक मोर्चा खोल रखा है, जिसके चलते योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए राजनीतिक चुनौती खड़ी हो गई है.
बता दें कि 14 सितंबर की सुबह हाथरस के चंदपा थाना क्षेत्र में बूलगढ़ी गांव में इस निर्भया कांड को चार लोगों ने अंजाम दिया था. युवती खेत में चारा काट रही थी तभी गांव के ही चार युवक वहां पहुंचे और लड़की को खींचकर बाजरे के खेत में ले गए, जहां उन चारों ने इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना को अंजाम दिया. विरोध करने पर चारो दरिंदों ने लड़की को जमकर पीटा और लड़की को मरा समझकर वहां से फरार हो गए थे. इस केस में सामूहिक बलात्कार की धारा लगाने में हाथरस पुलिस ने 9 दिन का वक्त लगा दिया, जो सीधे तौर पर कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा रहा है.
सोशल इंजीनियरिंग बिखरने का डर
बीजेपी 14 साल के सियासी वनवास के बाद 2017 में सूबे की सत्ता में लौटी थी तो दलित समुदाय की अहम भूमिका रही थी. दलितों में खासकर वाल्मिकी समुदाय बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है, मायावती के जाटव प्रेम के चलते बसपा से छिटककर आया था. हाथरस की निर्भया इसी वाल्मिकी समुदाय से थी, जो सूबे में 3 फीसदी के करीब है. इस घटना को लेकर दलित समुदायों में जबरदस्त गुस्सा है, जो योगी सरकार के लिए चिंता का सबब बन सकता है.
यूपी में विधानसभा चुनाव में डेढ़ साल का समय ही बचा है और विपक्ष लगातार योगी सरकार को एक जातीय विशेष के नेता के तौर पर बताने में जुटा है. ऐसे में 2017 के चुनाव से पहले बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सूबे में बीजेपी के जनाधार को मजबूत करने के लिए गैर-जाटव दलित को साधने का काम किया था, जिसमें वाल्मिकी समुदाय मुख्य रूप से शामिल था. हाथरस की निर्भया के केस को लेकर बीजेपी के सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला दरकता जा रहा है, जो योगी आदित्यनाथ के लिए 2022 में चुनौती बन सकता है.
सोशल मीडिया से सड़क तक विरोध
हाथरस की निर्भया मामले को लेकर कांग्रेस सोशल मीडिया से लेकर सड़क पर उतरकर योगी सरकार को घेरने में जुटी है. कांग्रेस के दलित नेता पीएल पुनिया और उदित राज ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सड़कों पर उतरकर पीड़िता के लिए न्याय की मांग करते हुए विजय चौक पर प्रदर्शन भी किया. वहीं, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ता कई जगहों पर सड़कों पर उतरे. प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में कैंडल लाइट मार्च निकाला. महिला कांग्रेस की कार्यकर्ताओं ने भी सड़क पर उतरकर पीड़िया के लिए न्याय की गुहार लगाई. कांग्रेस ने कहा कि जिस आवाज को दबाने के लिए योगी सरकार इतनी बेताब है, वो आवाज और भी ऊंची होती जाएगी.
राहुल-प्रियंका का योगी पर सीधा हमला
हाथरस की निर्भया की मौत पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी तक ने मोर्चा खोल रखा है. राहुल ने सीधे तौर पर योगी सरकार को जाति विशेष के नाम पर घेरा. उन्होंने ट्वीट कहा, 'उत्तर प्रदेश के 'वर्ग-विशेष' के जंगलराज ने एक और युवती को मार डाला. सरकार ने कहा कि ये फेक न्यूज है और पीड़िता को मरने के लिए छोड़ दिया. ना तो ये दुर्भाग्यपूर्ण घटना फेक थी, ना ही पीड़िता की मौत और ना ही सरकार की बेरहमी.'
वहीं, कांग्रेस महासचिव और यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, 'यूपी में कानून व्यवस्था हद से ज्यादा बिगड़ चुकी है. सूबे में महिलाओं की सुरक्षा का नाम-ओ-निशान नहीं है और अपराधी खुले आम अपराध कर रहे हैं. हाथरस में हैवानियत झेलने वाली दलित बच्ची ने सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया. दो हफ्ते तक वह अस्पतालों में जिंदगी और मौत से जूझती रही. हाथरस, शाहजहांपुर और गोरखपुर में एक के बाद एक बलात्कार की घटनाओं ने राज्य को हिला दिया है.'
दलित समुदाय आक्रोशित
हाथरस की निर्भया को इंसाफ के लिए दलित नेता भी सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं. दिल्ली में सफदरजंग अस्पताल के बाहर भीम आर्मी सहित कई दलित संगठनों ने योगी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. पीड़िता के परिजनों के साथ चंद्रशेखर आजाद अस्पताल में धरने पर बैठ गए थे. चंद्रशेखर ने कहा कि दलित समुदाय के सभी लोग सड़कों पर उतरकर दोषियों को मौत की सजा की मांग करें. उन्होंने कहा कि सरकार को हमारे धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए. जब तक दोषियों को फांसी नहीं दी जाती तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे. चंद्रशेखर को पुलिस ने हिरासत में लिया और परिजनों को हाथरस लेकर गई है. इसके बाद रात में ही पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार भी कर दिया. दलित समुदाय ने भारत बंद की धमकी दी है.
मायावती भी योगी सरकार के खिलाफ
सूबे के तमाम मुद्दों पर योगी सरकार के साथ खड़ी रहने वाले बसपा प्रमुख मायावती ने भी हाथरस कांड को लेकर प्रदेश सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं और आरोपियों को फांसी देने की मांग की है. मायावती ने कहा, 'यूपी के ज़िला हाथरस में एक दलित लड़की को पहले बुरी तरह से पीटा गया और फिर उसके साथ गैंगरेप किया गया. यह अति-शर्मनाक और अति-निंदनीय है जबकि अन्य समाज की बहन-बेटियां भी अब यहां प्रदेश में सुरक्षित नहीं हैं. मायावती ने मामले को फॉस्ट ट्रैक अदालत में चलाने और अभियुक्तों को फांसी देने की मांग की और पीड़ित परिवार की हरसंभव सहायता की मांग उठाई.
सपा ने निर्भया के लिए उठाई आवाज
हाथरस के निर्भया के इंसाफ के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया के जरिए आवाज उठाई थी तो पार्टी की महिला कार्यकर्ता सड़क पर उतरकर इंसाफ की गुहार लगा रहीं. निर्भया को श्रद्धांजलि देने के लिए कैंडल जुलूस निकालने जा रही कार्यकर्ताओ को पुलिस ने पार्टी कार्यालय में ही रोक लिया तो परिसर में ही मोमबत्ती जलाकर युवती को श्रद्धांजलि दी. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि हाथरस में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार एक बेबस दलित बेटी ने आखिरकार दम तोड़ दिया. नम आंखों से पुष्पांजलि.उन्होंने आगे लिखा कि अब आज की असंवेदनशील सत्ता से अब कोई उम्मीद नहीं बची है
AAP ने योगी के खिलाफ खोला मोर्चा
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लगातार ठाकुरवाद के नाम पर घेरने में जुटे हुए हैं. हाथरस में गैंगरेप पीड़िता की मौत के लिए आम आदमी पार्टी ने यूपी सरकार को जिम्मेदार बताया. संजय सिंह ने योगी सरकार पर पीड़ितों के साथ नहीं बल्कि दोषियों के साथ खड़ा होने का आरोप लगाया और कहा कि यूपी में बहू बेटी सुरक्षित नहीं है, आए दिन बलात्कार और हत्या हो रही है. इतना ही नहीं उन्होंने योगी सरकार से सवाल किया कि उनकी सरकार जब चिन्मयानंद के पक्ष में खड़ी होगी तो राज्य की बेटियों को न्याय कैसे मिलेगा? इस पूरे प्रकरण को फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाकर 6 महीने के अंदर इन तमाम दुर्दांत अपराधियों को फांसी की सजा दिलाने, पीड़ित परिवार को सुरक्षा देने और कम से कम 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग रखी.