रेलवे बोर्ड के नए अध्यक्ष अश्विनी लोहानी के सामने हैं कई चुनौतियां!

कैबिनेट की अपॉइंटमेंट्स कमेटी ने रेल बोर्ड के अध्यक्ष अशोक कुमार मित्तल का इस्तीफ़ा मंज़ूर कर लिया है. पांच दिन में दो रेल हादसों के बाद मित्तल ने इस्तीफा दे दिया था. इसके साथ ही एसीसी (Appointments Committee of the Cabinet) ने एयर इंडिया के सीएमडी अश्विनी लोहानी को रेल बोर्ड का नया अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है. भारतीय रेल के इतिहास में शायद पहली बार महज़ कुछ घंटों में रेल बोर्ड के अध्यक्ष के नाम पर सहमति बनी है.

लोहानी इंडियन रेलवेज़ मेकैनिकल सर्विस के 1980 बैच के ऑफिसर हैं. वे पहले दिल्ली के DRM रह चुके हैं. साथ ही ITDC के भी CMD और मध्य प्रदेश में स्टेट टूरिज़्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक के पद भी संभाल चुके हैं. अश्विनी लोहानी ने दिल्ली में मौजूद नेशनल रेल म्यूजियम को नया रूप दिया था. वो यहां के डायरेक्टर भी रह चुके हैंकहा जाता है कि 2002-03 में इंडियन टूरिज़्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के सीएमडी रहते हुए वो सीधा तत्कालीन विनिवेश मंत्री अरुण शौरी से टकरा गए थे और दिल्ली स्थित होटल अशोक को बिकने से रोक दिया था. लोहानी का मानना था कि दिल्ली में सरकार के प्रोटोकॉल और सुरक्षा में एक होटल होना ज़रूरी है. फाइलों पर उनकी नोटिंग की वजह से अशोक होटल तो नहीं बिक पाया, लेकिन लोहानी की छुट्टी ITDC के CMD के पद से कर दी गई थी.

अश्विनी लोहानी को काफ़ी काबिल अफसर माना जाता है, लेकिन रेल बोर्ड अध्यक्ष के नाते उनके पास भारी चुनौतियां होंगी. सबसे पहले उन्हें लगातार हो रहे हादसों पर लगाम लगानी होगी. रेलवे के खानपान से लेकर साफसफ़ाई तक को लेकर लोगों को शिकायत होती है और इन शिकायतों को दूर करना उनके लिए आसान नहीं होगा.

भारतीय रेल का सफर काफ़ी महंगा हो चुका है. यहां ट्रेनें घंटों की देरी से चल रही हैं. लोगों को आज भी कन्फ़र्म बर्थ मिल पाना आसान नहीं होता. ऐसे में सभी सुविधाओं को ट्रैक पर लाना अश्विनी लोहानी के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.

 

रेल मंत्रालय में अफसरशाही पर नकेल कसकर रेलवे के 13 लाख कर्मचारियों से काम लेना भी एक बड़ी चुनौती है. ख़ासकर ऐसे माहौल में जब लोहानी रेलवे बोर्ड के सदस्यों और कई ज़ोन के महाप्रबंधकों के जूनियर आफ़िसर रह चुके हैं. ऐसे में कितने लोग उनके आदेशों को किस तरह से लेंगे, यह भी एक महत्वपूर्ण सवाल है.

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