कश्‍मीर का लादेन बनना चाहता है ज़ाकिर मूसा

ज़ाकिर मूसा कश्मीर और उसके बाहर भी एक जाना-पहचाना नाम है. कभी बुरहान वानी के अंडर में काम करने वाले ज़ाकिर मूसा को 2016 में उसकी मौत के बाद हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर भी बना दिया गया. लेकिन अपनी विचारधारा के चलते ज़ाकिर मूसा हिजबुल से अलग हो गया.

कैरम चैम्पियन है ज़ाकिर मूसा
जाकिर जम्मू-कश्मीर से वह दो बार कैरम चैंपियनशिप का प्रतिनिधित्व कर चुका है. पढ़ाई-लिखाई में भी वह अच्छा था. अच्छे परिवार से था और 12वीं कक्षा में उर्दू में 100 में 68 अंक मिले तो अंग्रेज़ी में 100 में 76. साल 2010 में पत्थर फेंकने के जुर्म में पुलिस ने गिरफ्तार किया. हालांकि ज़ाकिर के पिता का कहना है कि वह निर्दोष था. उसके पिता बताते हैं कि पुलिस के सामने ज़ाकिर लगातार कहता रहा कि उसने पत्थर नहीं फेंका, लेकिन पुलिस ने उसकी एक न सुनी. उसके पिता का कहना है कि पुलिस केस की वजह और ज़्यादतियों के कारण उसने हथियार उठाया.

कश्मीर की लड़ाई को राजनीतिक नहीं धार्मिक मानता है

कश्मीर के अलगाववादी संगठन कश्मीर की आज़ादी की हिमायत करते हैं. वह इस लड़ाई को राजनीतिक मानते हैं. यहां तक कि हिजबुल मुजाहिदीन भी इस लड़ाई को राजनीतिक ही मानता है. लेकिन ज़ाकिर मूसा इस लड़ाई को राजनीतिक न मान कर धार्मिक मानता है. वो गज़वा-ए-हिन्द में विश्वास रखता है. इसी विरोध के चलते ज़ाकिर मूसा ने अपने आप को हिजबुल मुजाहिदीन से भी अलग कर लिया. वह इस्लाम को कश्मीर से लेकर सारे भारते पर लागू करना चाहता है. उसका नारा है "शरियत या शहादत". मायने कश्मीर में शरिया कानून लागू होने तक शहादत दी जाएगी.

युवाओं का हीरो है ज़ाकिर
कश्मीर में युवाओं का काफी समर्थन है. दरअसल कश्मीर का युवा कश्मीर की मौजूदा स्थिति से लगातार निराश है. वह इस मामले का कोई हल चाहता है. कश्मीर में हिज्ब और लश्कर से लेकर हुर्रियत तक लगातार एक लंबे समय से इस स्थिति को बना के रखे हुए हैं. जबकि ज़ाकिर मूसा काफी सक्रिय है इस वजह से वह युवाओं का हीरो बना हुआ है.

बनना चाहता है कश्मीर का ओसामा
कश्मीर में अलकायदा की लॉन्च करने के बाद ज़ाकिर ने अपनी वेश-भूषा भी ओसामा जैसी कर ली है. बढ़ी हुई दाढ़ी और लंबा चोगा और हाथों में छड़ी. उसने अलकायदा की तारीफ में लगातार कई वीडियो भी जारी किए हैं.

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