कालचक्र- मूर्ख भी बन सकते हैं सयाने
शुक्रवार दि॰ 22.09.17 आश्विन शुक्ल द्वितीया अर्थात शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी पूजन किया जाता है। मंगल ग्रह प्रधान देवी ब्रह्मचारिणी व्यक्ति के बुद्धि पर अपना अधिपत्य रखती हैं। इनका खिलते कमल जैसा साक्षात ब्रह्मत्व स्वरूप महेश्वर के निमित तपोबल से ज्योर्तिमय। कालपुरूष व वास्तुपुरुष सिद्धांत के अनुसार मंगल प्रधान देवी कुंडली के पहले व आठवें भाव पर अपनी सत्ता से व्यक्ति की बुद्धि, मानसिकता, सेहत और आयु पर अपना स्वामित्व रखती है। दक्षिण दिशा पर शासन करने वाली देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा लाल फूल, सिंदूर, गुड़ से करनी चाहिए। इनकी साधना से मूर्ख भी सयाने बन सकते हैं तथा अति साधारण स्टूडैंट को भी डॉक्टर व इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा में सफलता मिल सकती है।
विशेष पूजन: देवी ब्रह्मचारिणी का विधिवत पूजन करें। सुगंधित तेल का दीप करें, चमेली की अगरबत्ती करें, सिंदूर चढ़ाएं, लाल फूल चढ़ाएं, गुड़ का भोग लगाएं तथा 1 माला विशेष मंत्र जपें। पूजन उपरांत गुड़ गाय को खिलाएं।
पूजन मुहूर्त: प्रातः 09:40 से प्रातः 10:40 तक।
विशेष मंत्र: ॐ ब्राह्मयै नमः॥
शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त: दिन 11:49 से दिन 12:37 तक।
गुलिक काल: प्रातः 07:43 से प्रातः 09:13 तक।
यमगंड काल: शाम 15:13 से शाम 16:43 तक।
अमृत काल: शाम 17:57 से शाम 19:37 तक।
राहु काल: प्रातः 10:43 से दिन 12:13 तक।
यात्रा मुहूर्त: दिशाशूल – पश्चिम। राहुकाल वास – आग्नेय। अतः आग्नेय व पश्चिम दिशा की यात्रा टालें।
गुडलक ज्ञान
गुडलक कलर: पिंक।
गुडलक दिशा: उत्तर।
गुडलक टाइम: शाम 16:45 से शाम 17:45 तक।
गुडलक मंत्र: ॐ सर्वमङ्गलरूपाड्यायै नमः॥
गुडलक टिप: समृद्धि हेतु देवी ब्रह्मचारिणी पर चढ़ी गेहूं लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें।
एनिवर्सरी गुडलक: दंपत्ति किसी ब्राह्मण स्त्री को तांबे के लोटे में मसूर भरकर भेंट करें।
बर्थडे गुडलक: पान के पत्ते पर सिंदूर से "क्रीं" लिखकर देवी ब्रह्मचारिणी पर चढ़ाएं।