पाकिस्तानी मिसाइल ‘अबाबील’ के लिए तैयार है भारत का ‘जाल’
पाकिस्तान ने मंगलवार शाम दावा किया कि उसने जमीन से जमीन पर 2200 किमी. तक मार करने वाली नई अबाबील मिसाइल का पहला और कामयाब परीक्षण किया है. इतना ही नहीं पाक सेना की ओर से दावा किया गया कि नाभिकीय हथियार ले जाने में सक्षम उसकी यह मिसाइल एमआआरवी (एक साथ कई लक्ष्य भेदने) तकनीक से लैस है और रडार छतरी व प्रक्षेपास्त्र रोधी तंत्र को भेदने की ताकत भी रखती है.
तो भारत के लिए कितना बड़ा खतरा साबित हो सकती है पाकिस्तान की यह अबाबील मिलाइल? क्या भारत के पास अबाबील के हमले के खिलाफ माकूल तैयारी है? इन सवालों के जवाब में भारत की वैज्ञानिक और मिसाइल विशेषज्ञ बिरादरी भारतीय प्रक्षेपास्त्र छतरी की तैयारियों पर मुतमईन नजर आती है. साथ ही जानकार पाकिस्तानी दावों पर भी सवाल उठाते हैं.
भारतीय रक्षा अनुसंधान विकास संगठन के पूर्व प्रमुख और अग्नि समेत बैलेस्टिक मिसाइल कार्यक्रम की लंबे वक्त तक अगुवाई कर चुके डॉ. अविनाश चंदर ने पाकिस्तानी परीक्षण पर न्यूज़18इंडिया से बातचीत में कहा कि भारतीय मिसाइल कार्यक्रम काफी सक्षम है और भारत के पास भरोसेमंद प्रतिरोधक इंतजाम भी हैं. हालांकि चंदर यह मानते हैं कि पाकिस्तान के ताजा मिसाइल परीक्षण ने दक्षिण एशिया के रणनीतिक परिदृश्य के लिए नया खतरा जरूर पैदा कर दिया है. भारत को अपनी तैयारियों में इसका ध्यान रखना होगा.
पाकिस्तानी मिसाइल परीक्षण में किए गए दावों के बारे में पूछे जाने पर डॉ. चंदर कहते हैं कि 2200 किमी की शॉर्ट रेंज मिसाइल को एमआइआरवी तकनीक का दावा सबसे चौंकाने वाला है. इस तरह की क्षमता अधिकतर लंबी दूरी की मिसाइलों में होती है. छोटी दूरी की मिसाइलों को एक साथ कई लक्ष्य भेदने की क्षमता से लैस करना बेहद कठिन है. ऐसे में फिलहाल पाकिस्तानी दावों की वास्तविकता पर पड़ताल का इंतजार करना होगा.
उल्लेखनीय है कि भारत अग्नि-5 और उसके उन्नत संस्करण को मल्टीपल टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल (एमआइआरवी) तकनीक से लैस बनाने में लगा है. अभी तक यह तकनीक केवल रूस, अमेरिका, फ्रांस और चीन के पास ही मौजूद है. रोचक बात है कि दुनिया में मौजूद सभी एमआइआरवी तकनीक से लैस प्रक्षेपास्त्रों की प्रहार क्षमता 6 हजार किमी से ज्यादा है. ऐसे में महज 2200 किमी. क्षमता वाली अबाबील को एमआइआरवी तकनीक से लैस करने का पाकिस्तानी दावा हवाई ही नजर आता है.
इस बीच अबाबील के किसी भी हमले के खिलाफ भारतीय जाल भी कम मजबूत नहीं है. भारत बीते कई एक दशक से ज्यादा वक्त से दो स्तरीय मिसाइल डिफेंस सिस्टम विकसित कर रहा है. इसके तहत वातावरण के बाहर और वातावरण के भीतर हमलावर मिसाइल को नष्ट करने की क्षमता है. यानी हमलावर बचकर जाने ना पाए.
वातावरण से बाहर हमलावर मिसाइल को खत्म करने के लिए पीडीवी सिस्टम विकसित किया गया है जो जमीन से करीब 80 किमी की ऊंचाई पर ही उसे नष्ट कर देता है. इसके अलावा सतह से कम दूरी पर हमलावर मिसाइल को नष्ट करने की क्षमता वाले एएडी प्रणाली के अब तक सात सफल परीक्षण हो चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक भारतीय रक्षा प्रणाली तीस किमी की ऊंचाई पर 2000 किमी की रेंज वाली किसी भी मिसाइल के नष्ट करने में सक्षम है.
डीआरडीओ में वरिष्ठ वैज्ञानिक रहे डॉ. रवि गुप्ता कहते हैं कि भारत दुनिया के उन कुछ चुनिंदा मुल्कों में है जिनके पास मिसाइल हमले के खिलाफ स्वदेशी और भरोसेमंद प्रतिरोधी तंत्र और दो स्तरीय मिसाइल रक्षा प्रणाली है. भारत के पड़ोस में एक ऐसा मुल्क मिसाइल परीक्षण कर रहा है, जिसका अपना ट्रैक रिकार्ड खराब है और जो आतंकियों का मददगार है. यह बात भारत ही नहीं दुनिया की शांति के लिए खतरा है. हालांकि अपनी क्षमताओं के आधार पर भारत किसी भी खतरे से निपटने में सक्षम है.
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के मुताबिक उसके पास एक ही बार में एक से ज्यादा मिसाइल टार्गेट को खत्म करने क्षमता भी है. इस क्षमता का सफल परीक्षण भारत अब तक कई बार कर चुका है. पांच साल पहले हुए ऐसे ही एक कामयाब परीक्षण के बाद डीआरडीओ ने जारी बयान में बताया था कि उसके मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने एक साथ चार मिसाइलों का ना केवल पता लगा लिया बल्कि उन्हें 120 किमी. की ऊंचाई पर ही मार गिराया. यह परीक्षण इलेक्ट्रॉनिक मिसाइल टेस्टिंग द्वारा किया गया जिसमें 1500 किमी. की रेंज से दागी गई चार इलेक्ट्रॉनिक मिसाइलों को नष्ट किया गया.