160 साल पुराना काशी जैसा मंदिर, लेकिन यहां भगवान शिव की परिक्रमा नहीं की जाती, लेकिन क्यों?
जब आमतौर पर भक्त किसी मंदिर में जाते हैं, तो पहले मंदिर की परिक्रमा करते हैं और फिर भगवान के दर्शन करते हैं. लेकिन आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले के चीपुरपल्ली मंडल के मेट्टापल्ली गाँव में स्थित श्री श्री श्री उमा काशी विश्वेश्वर मंदिर में यह परंपरा नहीं निभाई जाती. मेट्टापल्ली का यह मंदिर अपनी अनूठी मान्यताओं और परंपराओं के कारण विशेष है. भक्तों और पुजारियों का मानना है कि इस मंदिर की परिक्रमा करना अनुचित है. यह मंदिर लगभग 160 साल पुराना है और इसकी संरचना वाराणसी के काशी विश्वेश्वर मंदिर से मिलती-जुलती है. मंदिर के सामने एक कब्रिस्तान है और इसके पास स्थित तालाब को इस क्षेत्र में आध्यात्मिक महत्व प्राप्त है.
पूजा का समय और परंपराएं
मंदिर में पूजा का समय इस प्रकार है:
सुबह: 3 बजे से 11 बजे तक
शाम: 4 बजे से रात 9 बजे तक
भक्त यहां सीधा शिवलिंग के दर्शन करते हैं, लेकिन मंदिर की परिक्रमा नहीं करते. यह प्रथा मंदिर के आध्यात्मिक नियमों का पालन करते हुए निभाई जाती है.
कार्तिक मास की विशेष पूजा
कार्तिक मास के दौरान इस मंदिर का महत्व और बढ़ जाता है. इस महीने में शिव माला धारण करने वाले भक्त विशेष पूजा के लिए यहां आते हैं. मेट्टापल्ली और आसपास के इलाकों से श्रद्धालु शिव माला पहनकर शिवलिंग पर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी) से अभिषेक करते हैं. इस मास में मंदिर के धार्मिक आयोजन भक्तों के लिए अत्यधिक महत्व रखते हैं.
मंदिर की परिक्रमा क्यों नहीं की जाती?
मंदिर में परिक्रमा न करने की परंपरा के पीछे एक खास वजह है. पुजारियों के अनुसार, शिवलिंग पर अभिषेक किया गया पवित्र द्रव मंदिर के नीचे से प्रवाहित होता है. इन स्थानों की परिक्रमा करना अशुभ माना जाता है. इसलिए भक्त सीधे ही शिवलिंग के दर्शन करते हैं.
मुख्य पुजारी का मत
मंदिर के मुख्य पुजारी मीगादा रमेश का कहना है, “भक्तों को भगवान शिव के दर्शन करते समय आध्यात्मिक नियमों का पालन करना चाहिए. यह सदियों पुरानी मान्यता है कि इस मंदिर में शिवलिंग की परिक्रमा नहीं की जाती. यह भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक विशेष तरीका है.”
भक्तों के दिल में विशेष स्थान
अपनी अनूठी परंपराओं और आध्यात्मिकता के कारण, मेट्टापल्ली का श्री श्री श्री उमा काशी विश्वेश्वर मंदिर भक्तों के मन में एक विशेष स्थान रखता है. यह मंदिर आस्था और परंपरा का प्रतीक है, जो शिव भक्तों को अनोखे अनुभव प्रदान करता है.