आप ने पहली सूची में वफादारों पर भरोसा जताते हुए बाहरी को दी प्राथमिकता  

नई दिल्ली । केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी ने गुरुवार को 11 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। पहली सूची में आप ने एक ओर पार्टी के वफादारों पर भरोसा जताया है, साथ ही कांग्रेस और भाजपा से आए नेताओं को प्राथमिकता देते हुए टिकट दिया है। हालांकि आम आदमी पार्टी ने तीन मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया है, जिससे सूची पर सवाल खड़ा हो रहा है। आइए जानते हैं पहली सूची से आम आदमी पार्टी क्या संदेश देना चाह रही है और इसके साइड इफेक्ट क्या हो सकती हैं।  
तीन बीजेपी व तीन कांग्रेस से आए नेताओं को टिकट
आप की पहली सूची में छह बाहरी नेताओं को टिकट दिया गया है, इनमें से तीन भाजपा और तीन कांग्रेस से आम आदमी पार्टी में शामिल हुए हैं। भाजपा से आम आदमी पार्टी में शामिल हुए ब्रह्म सिंह तंवर को छतरपुर से टिकट दिया गया है। ब्रह्म सिंह पूर्व विधायक हैं। वहीं, किराड़ी से पूर्व भाजपा विधायक अनिल झा को आप ने मैदान में उतारा है। लक्ष्मी नगर से पूर्व भाजपा पार्षद बीबी त्यागी को भी पार्टी ने टिकट दिया है। इसके अलावा कांग्रेस नेता मतीन अहमद के बेटे जुबैर चौधरी को सीलमपुर से, सीमापुरी से पूर्व कांग्रेस विधायक वीर सिंह धींगन और मटियाला से पूर्व कांग्रेस विधायक सुमेश शौकीन को टिकट मिला है। इन बाहरी नेताओं को शामिल कर आप ने संकेत दिया है कि वह राजनीतिक ताकत और अनुभव को प्राथमिकता दे रही है। हालांकि, यह कदम पार्टी के भीतर असंतोष का कारण बन सकता है, क्योंकि पुराने नेताओं के टिकट कटने से नाराजगी पनप सकती है।

लोकप्रियता में कमी के चलते तीन विधायकों के टिकट कटे
पार्टी ने तीन मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए हैं। इनमें रितुराज झा (किराड़ी), अब्दुर रहमान (सीलमपुर), गुलाब सिंह यादव (मटियाला) शामिल हैं। हालांकि टिकट कटने की वजहें स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन यह माना जा रहा है कि प्रदर्शन या स्थानीय लोकप्रियता में कमी इसका कारण हो सकता है। इस फैसले को गौर से देखा जाए तो ऐसा माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी परफॉर्मेंस बेस्ड राजनीति की लीक पर चल रही है। हालांकि ये कदम भी भीतर ही भीतर पार्टी में असंतोष का कारण बन सकता है।

तीन पुराने नेताओं को मौका
पार्टी ने पहली सूची में तीन पुराने और वफादार नेताओं को मौका दिया है। इनमें रोहतास नगर की पूर्व विधायक शामिल हैं, जिन्हें दोबारा मौका दिया गया है। राम सिंह नेताजी बदरपुर के पूर्व विधायक रहे हैं, उन्हें भी फिर से मैदान में उतारा गया है। दीपक सिंगला, जो कि 2020 में भी उम्मीदवार थे और महाराष्ट्र-गोवा के प्रभारी रहे हैं, उन्हें भी पार्टी ने टिकट दिया गया है।

पहली लिस्ट पर उठे कई सवाल
आप ने जो पहली लिस्ट जारी की है, वह कई तरह के सवाल खड़े करती है। पार्टी भले ही इसे एक नई तरह की रणनीति की तरह पेश करे, लेकिन आप ने अन्य पार्टियों से आए नेताओं को प्राथमिकता देकर अपने मूल कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया है। यह फैसला स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर डाल सकता है। मौजूदा विधायकों को दरकिनार करने से भी पार्टी में भीतर असंतोष पनप सकता है। पार्टी का ध्यान अनुभव और नए चेहरों के संतुलन पर टिका हुआ है। 

परफॉर्मेंस बेस्ड सोच रखने वाली पार्टी का संदेश
पहली लिस्ट के जरिए आम आदमी पार्टी ये बताने की कोशिश कर रही है कि वह सिर्फ पॉपुलैरिटी ही नहीं, बल्कि परफॉर्मेंस बेस्ड सोच रखने वाली पार्टी है और इसे ही प्राथमिकता देती है। पार्टी अपने विधायकों के प्रदर्शन का आकलन करती है और जरूरत पड़ने पर सख्त फैसले लेने से पीछे नहीं हटती। इसके साथ ही बाहरी नेताओं को शामिल कर आप ने संकेत दिया है कि वह बड़े स्तर पर चुनावी जीत के लिए नए सहयोगियों को भी अपनाने को तैयार है। पहली सूची ने पार्टी के भीतर असंतोष और गुटबाजी की आशंका को भी जन्म दिया है। अब यह देखना होगा कि आम आदमी पार्टी इन चुनौतियों का सामना कैसे करती है।

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