Alert: सुरक्षित नहीं Payment Gateway, हैक कर लगाया करोड़ों का चूना
मुंबई। किसी भी ऐप या यूपीआई से भी पेमेंट करते समय पेमेंट गेटवे का इस्तेमाल होता है, लेकिन अब यह भी सुरक्षित नहीं रहा। मुंबई में क्राइम ब्रांच ने पेमेंट गेटवे हैक कर लोगों को हजारों रुपए का चूना लगाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस सिलसिले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। शुरुआती जानकारी में पता चलता है कि जब कोई व्यक्ति घरेलू और अंतरराष्ट्रीय विमान टिकट बुक कराता था तो ये लोग पेमेंट गेटवे को हैक कर अपने काम को अंजाम देते थे। पूछताछ के दौरान इनके मुंबई, नागपुर और मध्य प्रदेश में एजेंट होने की बात सामने आई है। सभी आरोपितों को शुक्रवार तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
ऐसे हुआ भंडाफोड़: रैकेट का पता उस समय चला जब एक व्यक्ति ने दिसंबर 2018 को गोवा के लिए टिकट बुक कराया और देखा कि बुकिंग के समय उसने जो ई-मेल एड्रेस, मोबाइल नंबर दर्ज किया था और टिकट के लिए जो राशि भुगतान की थी, वो बिल्कुल अलग थी। उसने अपने स्तर पर छानबीन की तो पता चला कि उसका बैंक खाता हैक करने के बाद किसी अन्य व्यक्ति ने टिकट बुक कराया है और टिकट का भुगतान एक निश्चित ट्रैवल कंपनी को ऑनलाइन किया गया। इस पर उस व्यक्ति ने क्राइम ब्रांच से संपर्क किया।
मध्यप्रदेश से जुड़ी जड़ें, 12वींं पास निकला मास्टर माइंड: पेमेंट गेटवे हैक करने के बाद जिस कंप्यूटर से हवाई टिकट बुक कराया गया था, उसका आईपी एड्रेस मध्य प्रदेश का मिला। इस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने मुंबई से राजसिंह परमार (28) को गिरफ्तार किया। उससे पूछताछ के बाद पुलिस ने बताया कि राजसिंह 12वीं कक्षा तक पढ़ा है। वह 2015 में मुंबई आ गया था और अपने चाचा प्राण सिंह (48) के साथ काम करने लगा। पुलिस ने तत्काल जांच आगे बढ़ाते हुए प्राण सिंह और उसके ड्राइवर को भी गिरफ्तार कर लिया है। आरोपितों से पूछताछ के दौरान पता चला कि परमार विभिन्न टिकट साइटों से हवाई टिकट बुक कराता था। जब इन हवाई टिकटों का भुगतान होने लगता था तो आरोपित विदेशी कंपनी के भुगतान प्लेटफॉर्म को हैक कर लेता था। चूंकि पेमेंट गेटवे सुरक्षित नहीं था, इसलिए आरोपित बिना एक पैसा खर्च किए टिकट का भुगतान कर देता था। इस तरह से दो सालों के अंदर उसने लगभग दो करोड़ रुपये की कीमत के हजारों घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई टिकट बुक किए। इंस्पेक्टर मनीष श्रीधनकर ने कहा कि हमने अभी तक उसकी ई-मेल आईडी की जांच नहीं की है। इसमें रैकेट और उससे जुड़े लोगों जानकारी होने की संभावना है।