अपार आईडी से खुलने लगी स्कूली छात्रों के इधर उधर नामांकन की परते
डूंगरपुर। केंद्र सरकार की अपार आईडी (वन नेशन वन स्टूडेंट आईडी) बनाने की मुहिम से देश भर के स्कूलों में अध्ययनरत छात्रों की संख्या का वास्तविक स्टेटस सामने आने लगा है। यू डाइस प्लस पोर्टल के द्वारा एक बार स्टूडेंट की एंट्री करते ही छात्र का पेन नम्बर जेनरेट हो रहा है,और इसी पेन नम्बर के आधार पर अपार आईडी भी जेनरेट हो रही है। यद्यपि ये पूरी व्यवस्था पूरे देश के सभी स्टूडेंट्स को सिंगल आईडी देने की दिशा में किया जा रहा अभूतपूर्व कार्य है,लेकिन इसके साथ साथ स्कूलों की विभिन्न प्रकार की छात्र संख्या संबंधी अंदरूनी सांख्यिकी भी निकल कर सामने आ रही है। एक प्रकार से अपार आईडी द्वारा छात्र की पहचान तो सामने आ ही रही है,लेकिन विभिन्न स्कूल्स में ऐसे ही बिना दस्तावेज पूर्ति किए प्रवेशित छात्रों का डाटा भी सामने आ रहा है। आने वाले में अब इसी के आधार पर स्कूलों के लिए सरकार कार्ययोजना लागू करेगी।
ऐसे समझे पूरे मामले को :
अपार आईडी बनाने के स्टूडेंट के साथ साथ उसके माता पिता के आधार को भी साथ में अटैच किया करके फेच किया जा रहा है। यू डाइस पोर्टल के माध्यम से अपार आईडी के लिए एंट्री करते ही उस छात्र के स्कूल में प्रवेश होने या नामांकित होने का डाटा भी ऑटोमैटिक सत्यापित हो रहा है,अर्थात यदि कोई छात्र बिना टीसी के अन्य स्कूल में प्रवेशित है,या रिकॉर्ड में कही और दर्ज है तो तो उसका भी विवरण स्वत ही सामने आ आ रहा है। कई छात्र जो वर्तमान में विभिन्न निजी स्कूलों में अध्ययनरत है, उनका वास्तविक नामांकन विभिन्न सरकारी एवं मां बाड़ी केंद्रों में दर्ज होने के मामले भी उजागर हो रहे है। ऐसे में इन सभी छात्रों को उन स्कूलों के यूडाइस पोर्टल से पेन नम्बर के द्वारा रिलीव करने के बाद ही उनका अपार आईडी बन सकेगा।
तो घट जाएगा कागजों में चल रहा नामांकन :
अधिशेष शिक्षकों से प्रभावित राज्य के विभिन्न स्कूलों के लिए अपार आईडी होश उड़ाने वाली है। एक तरफ जिले में एक से आठ तक की विभिन्न शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की स्कूलों में कई जगह छात्रों का नामांकन 50 से भी कम है,और शिक्षा विभाग के नियमों के मुताबिक स्कूल में 29 छात्रों से कम संख्या होने पर स्कूल बंद करने का प्रावधान है। ऐसे में अब अपार आईडी के कारण ऐसी सभी स्कूलों में यू डाइस पर डाटा अपार आईडी में बदलने के बाद चल रहा अन्य विद्यालयों में चले आ रहे नामांकन भी फिल्टर हो चले है,जो कम संख्या वाले स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के होश उड़ाने लगा है। क्योंकि नामांकन में बदलाव आने से स्कूली छात्रों से जुड़ी विभिन्न सुविधाओं पर हो रहे खर्च पर भी इसका असर साफ नजर आएगा,अभी तक शाला दर्पण पर उपलब्ध आंकड़े ही सरकार को योजना और बजट उपलब्ध कराने में भूमिका निभाते रहे है,अब इसकी जगह केंद्र सरकार के यूडाइस पोर्टल पर उपलब्ध अपार आईडी से योजनाओं का खाका तय होगा।
पूरे देश में अब तक अपार आईडी प्रगति :
शिक्षा मंत्रालय के पोर्टल पर सचिव संजय कुमार (आईएएस) द्वारा 06 दिसम्बर को जारी पत्र अनुसार 05 दिसम्बर तक देश के 20 करोड़ 83 लाख 17 हजार 250 माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर तक के स्कूली छात्रों में से 4 करोड़ 82 लाख 89 हजार 833 स्टूडेंट्स की अपार आईडी बन चुकी है। और शेष अपार आईडी के लक्ष्य को दिसम्बर में ही पूरा करने के लिए सरकार ने पूरे देश में एक साथ 9 एवं 10 दिसम्बर को मेगा अपार आईडी जेनरेशन दिवस भी आयोजित किया है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2026-27 से स्टूडेंट्स का सारा शैक्षणिक रिकॉर्ड केवल अपार आईडी ट्रेल द्वारा ही स्टोर करने की योजना लागू करने की तैयारी की है। ऐसे में अब नई शिक्षी नीति पूरे जोर शोर से आगे बढ़ रही है और 2030 तक पूरे देश में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी नजर आएगी।
पश्चिम बंगाल,तमिलनाडु और केरल राज्य ने अब तक शुरू नहीं किया अपार आईडी जेनरेशन का कार्य, राजस्थान में 38 प्रतिशत स्कूली छात्रों की बनी अपार आईडी:
शिक्षा मंत्रालय के सचिव ने पांच दिसम्बर को देश के सभी राज्यों को पत्र लिख कर अपार आईडी क्रिएशन के कार्य को पहली प्राथमिकता देने के निर्देश दिए है। पत्र के साथ संलग्न सूची अनुसार देश के पश्चिम बंगाल,तमिलनाडु एवं केरल राज्य में अपार आईडी क्रिएशन की प्रगति शून्य प्रतिशत दर्शाई है। वही राजस्थान में अब तक माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर तक के 38 प्रतिशत स्कूली छात्रों की अपार आईडी बनाई जा चुकी है। राजस्थान में शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी पत्र अनुसार कुल 01 करोड़ 51 लाख 41 हजार 369 स्कूली छात्र पंजीकृत है, इसमें से अब तक 58 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स दिसम्बर के पहले सप्ताह तक अपार आईडी प्राप्त कर चुके है। शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों अनुसार वर्ष 2024 दिसम्बर तक पूरे देश में कुल 14 लाख 83 हजार 119 स्कूल वर्तमान में यूडाइस पोर्टल पर रजिस्टर्ड है।