धनतेरस पर प्रदोष व्रत का शुभ संयोग, भोलेनाथ को चढ़ा दें ये चीजें, कदमों में होगी कामयाबी!

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है. इस खास दिन पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव की कृपा से सुख-समृद्धि और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है. एक महीने में दो बार प्रदोष व्रत आता है. इस दिन भगवान शिव समेत उनके पूरे परिवार की आराधना की जाती है. उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज के अनुसार, इस बार का प्रदोष व्रत काफी खास संयोग में आ रहा है क्योंकि इस दिन धन त्रयोदशी यानी धनतेरस का त्योहार भी है. इसी दिन से घर-परिवार में सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य का आगमन होता है. साथ ही इस दिन व्रत करके विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है. आइए जानते हैं कि इस दिन भगवान शिव को ऐसी कौन सी वस्तु अर्पित की जाए, जिससे शिव के साथ माता लक्ष्मी भी प्रसन्न हों.

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष का पहला प्रदोष व्रत और अक्टूबर का अंतिम प्रदोष व्रत 18 अक्टूबर को है. इस दिन त्रयोदशी तिथि दिन में 12 बजकर 20 मिनट पर लगेगी और त्रयोदशी तिथि 19 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 50 मिनट तक समाप्त होगी जबकि धनतेरस के दिन प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ समय शाम को 5 बजकर 50 मिनट से शाम 7 बजकर 40 मिनट तक रहेगा.

प्रदोष व्रत के दिन जरूर करें यह उपाय
प्रदोष व्रत यानी धनतेरस के दिन शिवलिंग पर तिल अर्पित करने चाहिए. ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग का तिल से अभिषेक करने से साधक को सभी पापों से छुटकारा मिलता है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है. वहीं धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन शिवलिंग पर कच्चे चावल अर्पित करने चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से धन लाभ के योग बनते हैं और जीवन में कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है.

गेहूं और धतूरे से शिवलिंग का अभिषेक
प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान शिवलिंग का गेहूं और धतूरे से अभिषेक करना चाहिए. इस दौरान महादेव से जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस उपाय को करने से संतान-सुख की प्राप्ति होती है और महादेव की कृपा प्राप्त होती है. वहीं महादेव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष के दिन शिवलिंग पर लाल चंदन भी अर्पित कर सकते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से कुंडली में सूर्य मजबूत होता है, जिससे व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती है और रुके काम पूरे होते हैं.

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