Ayodhya Case: सुन्नी वक्फ बोर्ड के हटने से केस पर क्या पड़ेगा असर, जानें इसका कानूनी पेंच
नई दिल्ली. बाबरी मस्जिद-राममंदिर केस की सुनवाई में खत्म होने की ओर है, लेकिन इस केस में बाबरी मस्जिद के पक्ष में खड़े सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अचानक से मध्यस्थता पैनल में शामिल वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू के जरिये अचानक से हलफनामा देकर केस से अपना नाम वापस लेने की बात कही. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इन हलफनामे पर कोई संज्ञान नहीं लिया है. इस केस में बाबरी मस्जिद की तरफ से 6 पक्षकार थे, जिसमे से सुन्नी वक्फ बोर्ड भी एक है. न्यूज18 हिन्दी ने सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट मुहम्मद इरशाद से जानी कानून की वो बारिकी जिससे नाम वापस लेने पर केस पर कोई असर पड़ेगा या नहीं. अगर नहीं तो कैसे.
बाबरी मस्जिद केस में ये हैं 6 मुस्लिम पक्षकार
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट मुहम्मद इरशाद बताते हैं कि सुन्नी वक्फ बोर्ड के अलावा बाबरी मस्जिद केस में पक्षकार के रूप में जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द, अयोध्या के रहने वाले इकबाल अंसारी, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शामिल हैं.
हलफनामा वापस लेने पर क्या बोले जानकार
एडवोकेट मुहम्मद इरशाद का कहना है कि बाबरी मस्जिद केस में 6 पक्षकार हैं. कानूनी रूप से हर एक पक्षकार का अपना महत्व होता है, लेकिन सभी पक्षकार बराबर हैं. अब अगर 6 में से कोई एक-दो या फिर 5 पक्षकार भी अपना दावा छोड़ देते हैं तो इससे बाबरी मस्जिद केस और उसके आने वाले फैसले पर कोई असर नहीं पड़ेगा. केस पर असर तभी पड़ेगा जब सभी पक्षकार पीछे हट जाते हैं.