नीतीश सरकार का बड़ा फैसला,अब लोगों को बैंक की तरह ही जमीन की भी मिलेगी पासबुक 

भूमि विवाद की घटनाएं न्यूनतम करने के लिए भू सर्वेक्षण की कवायद तेजी से चल रही है। इसी क्रम में अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की में एकीकृत भू अभिलेख प्रबंधन प्रणाली विकसित की जा रही है। इससे एक तो भूमि संबंधी किसी भी दस्तावेज को आसानी से देखा जा सकेगा।

सबसे बड़ी बात यह होगी कि इस व्यवस्था के बाद भविष्य में भूमि सर्वेक्षण की जरूरत नहीं होगी। बैंक पासबुक की तरह भू स्वामी को जमीन की पासबुक मिलेगी। इसके लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के भू अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय ने 16 करोड़ 50 लाख रुपये व्यय की स्वीकृति दी है।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से नागरिकों को दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की ऑनलाइन सुविधाओं को एकीकृत करने और प्रभावी रूप से कार्यान्वित करने के उद्देश्य से यह प्रणाली बनाई जा रही है।

इसके लागू होने के बाद भूमि विवाद के मामले लगभग न के बराबर होंगे। डाटा को एकीकृत करने में यह प्रणाली कारगर साबित होगी। इससे राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अलग-अलग पोर्टल के बीच समन्वय स्थापित किया जा सकेगा।

भू अभिलेख प्रबंधन प्रणाली से होंगे कई तरह के लाभ

विभाग एवं आमजन के बीच पारदर्शिता
भूमि अभिलेखों व मानचित्रों का शुद्धता के साथ वास्तविक समय में अद्यतीकरण
भू धारकों के लिए भूमि पासबुक की उपलब्धता
चालू खतियान, जमाबंदी पंजी और संबंधित अभिलेखों का वर्तमान स्थिति के अनुसार ऑटोमेटिक अद्यतीकरण
ऑनलाइन भू लगान भुगतान एवं दखल-कब्जा प्रमाणपत्र की सुविधा
अधिकार अभिलेख, चालू खतियान, खेसरा पंजी, दाखिल-खारिज पंजी एवं शुद्धि पत्र-आदेश को देखने और डाउनलोड करने की सुविधा
वास्तविक समय आधारित मानचित्र की सहायता से योजना एवं अनुश्रवण की प्रक्रिया का सरलीकरण

आधार सिडिंग की सुविधा

भू अर्जन की प्रक्रिया का सरलीकरण
ऑनलाइन भू मापी की सुविधा
ऑनलाइन गैर कृषि कार्य के लिए समपरिवर्तन की सुविधा
भविष्य में भू सर्वेक्षण की आवश्यकता नहीं

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