शताब्दी एक्सप्रेस से यात्रा के दौरान नहीं मिला नाश्ता व भोजन, रेलवे पर 10 हजार रुपये का हर्जाना
भोपाल । एक पुरुष यात्री ने शताब्दी एक्सप्रेस से ई-कोच में ग्वालियर से भोपाल के लिए सीट आरक्षित कराया था। यात्री से टिकट में ही नाश्ता व भोजन के लिए राशि ले ली गई, लेकिन रेलवे ने उन्हें कुछ भी चाय-नाश्ता या पानी कुछ भी उपलब्ध नहीं कराया। इसकी शिकायत यात्री ने रेल प्रशासन की, लेकिन उन्हें कुछ भी उपलब्ध नहीं कराया गया, जबकि उनके कोच में बैठे अन्य यात्रियों को नाश्ता व भोजन उपलब्ध कराया गया। इसके बाद यात्री ने जिला उपभोक्ता आयोग में याचिका दायर की। आयोग ने सात साल बाद शुक्रवार को यात्री के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए रेलवे को जिम्मेदार ठहराया और यात्री को मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए 10 हजार रुपये देने का आदेश दिया।
यह था मामला
राजधानी स्थित लोहिया सदन निवासी रघु ठाकुर ने जबलपुर रेलवे के जनरल मैनेजर, डीआरएम भोपाल, महाप्रबंधक उत्तर रेलवे के खिलाफ 2016 में याचिका लगाई थी।शिकायत में लिखा था कि एक अप्रैल 2015 को शताब्दी एक्सप्रेस से एक्जीक्यूटिव क्लास की यात्रा के लिए सीट आरक्षण कराया था। रेलवे की ओर से नाश्ता, भोजन व पानी उपलब्ध कराया जाना था, क्योंकि इसके लिए टिकट के साथ राशि ली गई थी, लेकिन कुछ भी नहीं दिया गया। जब उपभोक्ता ने कोच अटेंडेंट से नाश्ते की मांग की तो उसने बताया कि चाय व नाश्ता उपलब्ध कराने का समय खत्म हो चुका है। अटेंडेंट द्वारा उसी कोच में बैठे हुए अन्य व्यक्तियों को चाय व नाश्ता उपलब्ध कराया गया, जिसके संबंध में उससे पूछे जाने पर बताया गया कि मंत्री हैं, इसलिए नाश्ता उपलब्ध कराया जा रहा है।भोपाल पहुंचने के बाद भी उपभाेक्ता को चाय व नाश्ता उपलब्ध नहीं कराया गया।
आयोग ने रेलवे को लगाई फटकार
रेलवे ने अपने तर्क में लिखा है कि रेलवे ने किसी यात्री से चाय व नाश्ता के लिए कितनी राशि ली है और कब और कहां लंच व डिनर देना है। यह नीतिगत मामला है। इसका निराकरण का क्षेत्राधिकार उपभोक्ता आयोग को नहीं है। इस तर्क के बाद आयोग ने रेलवे को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि उपभोक्ता को यात्रा के दौरान राशि लेने के बाद खान-पान की व्यवस्था उपलब्ध न कराकर सेवा में कमी की है। मामले में आयोग के अध्यक्ष योगेश दत्त शुक्ल, सदस्य सुनील श्रीवास्तव व प्रतिभा पांडेय की बेंच ने निर्णय सुनाया।रेलवे को निर्देश दिए कि दो माह के अंदर सेवा में कमी के लिए पांच हजार रुपये, मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए तीन हजार और वाद व्यय के लिए दो हजार रुपये देने का आदेश दिया।