मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का सख्त रुख, सिविल सर्जन समेत कई अधिकारी निलंबित

Jharkhand New:पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने के गंभीर मामले पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने इस मामले में सिविल सर्जन सहित संबंधित अधिकारियों को तत्काल निलंबित करने का आदेश दिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर लिखा है कि राज्य सरकार इस घटना को अत्यंत गंभीरता से ले रही है.
पीड़ित बच्चों के परिवारों को दो- दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी. साथ ही संक्रमित बच्चों का पूरा इलाज सरकार की ओर से कराया जाएगा. ज्ञात हो कि दो दिन पूर्व चाईबासा ब्लड बैंक में एक थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ा दिया गया था. यह मामला सामने आने के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए थे.
जांच में बड़ा खुलासा, पांच बच्चों को चढ़ाया गया संक्रमित खून
स्वास्थ्य निदेशालय की पांच सदस्यीय जांच टीम के प्रमुख डॉ. दिनेश कुमार के नेतृत्व में की गई जांच में बड़ा खुलासा हुआ. टीम की जांच में पाया गया कि केवल एक नहीं बल्कि कुल पांच थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाया गया है. इस रिपोर्ट के सामने आते ही स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया. मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद अब स्वास्थ्य सचिव ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है. सरकार ने साफ कहा है कि बच्चों की जान से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा.
ब्लड बैंक चाईबासा को अब तक नहीं किया गया सील
पूरे मामले में समझने वाली बात यह है कि संक्रमित रक्त सिर्फ बच्चों को ही चढ़ा या कुछ और भी लोग इसकी चपेट में आ गए हैं. अगर जांच की गई तो यह काफी खतरनाक साबित हो सकता है लेकिन खबर लिखे जाने तक ब्लड बैंक को सील नहीं किया गया था ऊपर से रांची से आई टीम ने भी सिर्फ लीपा पोती जैसी कार्रवाई की है.
जांच प्रक्रिया पर उठे सवाल, स्वास्थ्य मंत्री की चुप्पी बनी रहस्य
सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न यह पैदा होता है की लगभग 6 चरणों की जांच के बाद किसी भी रक्त को ब्लड बैंक में उपलब्ध करवाया जाता है, रक्तदाता द्वारा रक्तदान करने के पश्चात छह चरणों से गुजरने के बाद रक्त को शुद्ध माना जाता है उससे प्लाज्मा भी निकाले जाते हैं. इन तमाम चरणों में गलती कैसे हुई है, पूरे मामले पर स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी का कोई भी बयान नहीं आना मामले को और ज्यादा संदेहास्पद बनाता जा रहा है.
