‘विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के गैर-संस्थागत पूनर्वास‘‘ पर परामर्श बैठक का आयोजन
जयपुर। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत केंद्रीय दत्तक -ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) की ओर से बाल अधिकारिता विभाग, राजस्थान सरकार के संयुक्त तत्वाधान में सोमवार को जयपुर स्थित राजस्थान संविधान क्लब में ‘‘विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (दिव्यांग बच्चों) के गैर-संस्थागत पूनर्वास‘‘ पर उत्तरी क्षेत्र की क्षेत्रीय परामर्श बैठक का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में उद्घाटन सत्र में अपने सम्बोधन में केंद्रीय दत्तक -ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) की सीईओ श्रीमती भावना सक्सैना ने कहा कि विशेष योग्यजन बच्चों का दत्तक ग्रहण ईश्वर की सेवा के समान पुण्य का कार्य है, जो सन्तान विहीन माता-पिता यदि ईश्वर की सच्ची सेवा करना चाहते हैं, वे विशेष योग्यजन बच्चों का दत्तक ग्रहण कर इस पुण्य सेवा का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (दिव्यांग बच्चों) की विशिष्ट आवश्यकताओं को समझते हुए CARA ने पुनर्वास के गैर-संस्थागत रूपों को सुदृढ़ करने के लिए स्वयं को प्रतिबद्ध किया है, जिसमें दत्तक ग्रहण एक केंद्रीय स्तंभ है। लक्ष्यों को उच्चतम स्तर पर प्राप्त करके हमारा सेवा कार्य सार्थक सिद्ध हो सकता है। उन्होंने कहा कि सामाजिक मानसिकता में बदलाव लाकर इस सेवा में आ रही चुनौतियों को दूर किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि प्राधिकरण (CARA), किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 68, बाल विकास, भारत सरकार को देश में दत्तक ग्रहण के लिए नोडल एजेंसी के रूप में CARA को देश में दत्तक ग्रहण को बढ़ावा देने और सुगम बनाने तथा अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण को विनियमित करने का दायित्व सौंपा गया है। यह मुख्य रूप से मान्यता प्राप्त और संबद्ध दत्तक ग्रहण एजेंसियों के अपने नेटवर्क के माध्यम से अनाथ, परित्यक्त और आत्मसमर्पित बच्चों को गोद लेने पर केंद्रित है।
इस अवसर पर बाल अधिकारिता आयुक्त, श्री आशीष मोदी ने कहा कि विशेष योग्यजन बच्चों के दत्तक ग्रहण का कार्य सिम्पैथी के स्थान पर एमपैथी के संग किया जाना ज्यादा प्रभावी एवं आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सिम्पैथी केवल संवेदना है किन्तु एमपैथी वह वास्तविक जरूरत है, जिसे तुलनात्मक रूप से आकलित कर निष्पादन किये जाने से उत्कृष्ट सेवा सम्पादित की जा सकती है।
विशेष योग्यजन विभाग, राजस्थान, आयुक्त श्री केसर मीणा ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि राजस्थान राज्य में 2012 में विशेष योग्यजन की समस्याओं के निराकरण के लिए पृथक निदेशालय की स्थापना की गई। उन्होंने विशेष योग्यजनों को दी जा रही भोजन, चिकित्सा एवं अन्य समस्त सुविधाओं का विवरण देते हुए कहा कि राज्य में 110 विशेष विद्यालय, 37 बौद्धिक दिव्यांग गृह राज्य सरकार की ओर से संचालित किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार पूर्ण प्रतिप्रद्धता से विशेष योग्यजन कल्याण के लिए कार्य कर रही है।