छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत पर दिग्विजय सिंह के 14 सवाल, पीड़ित परिवारों को 50 लाख मुआवजे की मांग

भोपाल: छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ कफ सिरप से हुई बच्चों की मौत के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने राज्य सरकार से लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से 14 सवाल पूछे हैं. 14 सवालों के इस प्रश्नपत्र में जहरीली दवा के बाजार में आने से लेकर उसके बच्चों की खुराक बनने तक हर मोर्चे पर हुई लापरवाही को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं. दिग्विजय सिंह ने कहा इस पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने के साथ जिम्मेदार अधिकारियों और कंपनी पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए.

दिग्विजय का राज्य सरकार और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से सवाल

भोपाल में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि "किस आधार पर स्वास्थ्य मंत्री ने इस जहरीली सिरप को क्लीन चिट दे दी थी. क्या स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा नहीं होना चाहिए." उन्होंने पूछा कि "क्या प्रभारी मंत्री और जिला कलेक्टर ने कभी बैठक की. जब 2 सितम्बर को पहली मौत हुई थी तो क्या वजह है कि सरकार को इस पूरे मामले को समझने में एक महीने का वक्त लग गया."

दिग्विजय सिंह ने कहा कि "मुख्यमंत्री खुद स्टेट हेल्थ सोसायटी के अध्यक्ष हैं और स्वास्थ्य मंत्री इसमें सह अध्यक्ष हैं. इस समिति ने क्या जवाबदारी निभाई. उन्होंने पीड़ित परिवारों को 50 लाख रुपए का मुआवजा देने की भी सरकार से मांग की है.

दिग्विजय सिंह का राज्य सरकार से 10 सवाल

सवाल नंबर 1- मुख्यमंत्री स्टेट हेल्थ सोसायटी के अध्यक्ष हैं और स्वास्थ्य मंत्री सह अध्यक्ष हैं. सवाल ये है कि इस समिति की क्या जवाबदारी थी. इस समिति ने आम जनों के स्वास्थ्य के प्रति अपनी जवाबदारी क्यों नहीं निभाई.

सवाल नंबर 2- कोल्ड्रिफ जैसी जहरीली दवा प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर्स के जरिए बिक्री के लिए उपलब्ध कैसे होती रही, जबकि टेंडर और नियामक प्रक्रियाओं में एक्सिपिएंट्स (जैसे ग्लिसरीन) के लिए टाइप वन ड्रग मास्टर फाईल या सर्टिफिकेट ऑफ स्टेबिलिटी अनिवार्य होना चाहिए था.

सवाल नंबर 3- क्या बच्चों की जान की कीमत पर कमीशन का खेल सरकार की नाक के नीचे सरेआम नहीं चल रहा था?

सवाल नंबर 4- राज्य के मुख्य सचिव राज्य स्वास्थ्य समिति की गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष हैं. उन्होंने एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट टेस्टिंग, मेथड ऑफ एनालिसिस और गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस चेक करने को क्यों नजरअंदाज किया.

सवाल नंबर 5- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ऑडिट 2023 में मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेज कॉर्पोरेशन पर देरी और अतिरिक्त खर्च का आरोप लगाया था. फिर भी मुख्य सचिव ने अपना दायित्व क्यों नहीं निभाया?

दिग्विजय सिंह का केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से सवाल

सवाल नंबर 6- आपके मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में 2022 के गाम्बिया और 2023 के उज्बेकिस्तान हादसों के बाद भी भारत से बिक्री होने वाली दवाओं में डाई-एथिलीन ग्लाइकोल कंटेमिनेशन क्यों जारी रहा?

सवाल नंबर 7- केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने सिर्फ 9 प्रतिशत फैक्ट्रियों का ही निरीक्षण किया और इनमें से 36 प्रतिशत फेल पाई गईं. फिर भी केंद्र सरकार क्यों सोती रही?

सवाल नंबर 8- केंद्र सरकार ने जन विश्वास अधिनियम 2023 से नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी दवाओं पर जेल की सजा के बजाए सिर्फ 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाने का निर्णय किस आधार पर लिया? भाजपा पर आरोप है कि फार्मास्यूटिकल कंपनियों से इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में 945 करोड़ रुपये का चंदा लिया गया और कंपनियों को मनमानी करने की छूट दे दी गई.

सवाल नंबर 9- केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन का अलर्ट 4 अक्टूबर 2025 को आया, लेकिन दवा के रिकॉल में औसतन 42 दिन क्यों लगे?

सवाल नंबर 10- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में सालाना 1,000 से ज्यादा नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी सैंपल मिलते रहे. फिर सरकार ने सख्त कार्यवाही क्यों नहीं की?

सवाल नंबर 11- जन औषधि केंद्रों में भी नकली दवाएं पकड़ी गईं, फिर भी क्वालिटी फर्स्ट प्रोक्योरमेंट मॉडल क्यों नहीं अपनाया गया?

सवाल नंबर 12- क्या भारतीय जनता पार्टी की फार्मा फंडिंग के कारण नियामक संस्थाओं को अपना कार्य नहीं करने दिया जा रहा है?

सवाल नंबर 13- क्या विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार 10-25 प्रतिशत दवाएं फेक या नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी दवाएं होने से सरकारी कोष को सालाना 52,000 करोड़ रुपये का नुकसान नहीं हो रहा है?

सवाल नंबर 14- एंटीमाइक्रोबॉयल रेजिस्टेंस से 49,000 अतिरिक्त मौतें हो रही हैं. फिर भी निरीक्षकों की संख्या विश्व स्वास्थ्य संगठन मानक से 70 प्रतिशत कम क्यों है? सरकार एक दशक में भी पर्याप्त निरीक्षकों की भर्ती क्यों नहीं कर सकती है?

 

 

    बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने दिग्विजय सिंह के राज्य सरकार पर किए गए हमले के जवाब में कहा कि "वो जो अमानक दवाइयां थी वो दिग्विजय सिंह के दल के इंडी गठबंधन के दल की सरकार में बनी थी. मध्य प्रदेश की सरकार ने तो एसआईटी गठित कर उस ड्रग हत्यारे को दबोचा, उस पर दिग्विजय सिंह क्यों मौन हैं. सरकार सभी पक्षों पर कार्रवाई कर रही है. असल में दिग्विजय सिंह खुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए और अपने पुत्र को स्थापित करने के लिए केवल सुर्खियां बटोरने की कोशिश कर रहे हैं."

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