दवा माफिया का काला कारोबार: खाड़ी भेजने के लिए एक्सपायरी कफ सिरप को नए लेबल लगाकर बेचते थे 1200 रुपये में

मुजफ्फरनगर: मिलावटखोर अब हमारे स्‍वास्‍थ्‍य से भी समझौता करने लगे हैं। खाने-पीने की चीजें तो नकली बिकती ही थीं, अब मार्केट में एक्‍सपायरी डेट वाले खांसी के सिरप भी धड़ल्‍ले से बेचे जा रहे हैं। मुजफ्फरनगर पुलिस ने प्रतिबंधित और एक्सपायरी डेट वाले खांसी के सिरप के पुराने रैपर हटाकर नए फर्जी रैपर लगाकर बेचने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है। यह गिरोह इन सिरपों को मेडिकल स्टोरों और खाड़ी देशों में बेचने की फिराक में था, जहां से उन्हें भारी मुनाफा मिलता था। पुलिस ने शादाब अली, बबलू उर्फ तूफान सिंह और दीपक शर्मा को अरेस्‍ट किया है। इनका एक सहयोगी फरार है। एसपी सिटी सत्य नारायण प्रजापति ने बताया कि मौके से पुलिस ने फैंसीडाइल कफ सिरप की 74 शीशी और 92 रैपर शीट बरामद किए हैं। यह सिरप बगैर डॉक्‍टर की सलाह से आसानी से मेडिकल स्‍टोर पर नहीं मिलता। इसकी मांग बहुत ज्‍यादा है।

खाड़ी देश जाने वाले 1200 तक में खरीदते थे कप सिरप
आरोपियों ने पुलिस को बताया कि ये लोग इन सिरप को खाड़ी देशों में बेचने के फिराक में थे। सऊदी अरब, संयुक्‍त अरब अमीरात, ओमान, ईरान, कुवैत आदि देशों में धूल बहुत उड़ती है। इससे लोगों को खांसी बनी रहती है। इस वजह से इस खांसी के सिरप की वहां बहुत मांग रहती है। भारत से वहां जाने वाले लोग कप सिरप को हजार से 1200 रुपये तक में खरीद लेते हैं। इससे गैंग को चार से पांच गुना तक मुनाफा होता था।

सस्‍ते दाम में सिरप खरीदकर नया रैपर चिपका देते थे
पकड़े गए युवक सिरप बेचने से संबंधित कोई वैध कागजात नहीं दिखा पाए। गिरोह के सदस्य मेडिकल स्टोरों से पुराने या एक-दो माह के अंदर एक्सपायर होने वाले सिरप को सस्ते दामों पर खरीदते थे। वे इन सिरपों के पुराने रैपर को उतारकर उन पर फर्जी रैपर लगाते थे। इन तैयार किए गए सिरपों को फिर दूसरे प्रदेशों व मेडिकल स्टोरों पर मोटे मुनाफे पर बेचा जाता था।

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